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सांस के क़दमों से पूछियें .......

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कितनी ख़ास ओ आम ज़िन्दगी 

पेट  की  ग़ुलाम  ज़िन्दगी
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मिल गयी तो  सुबह हो  गयी 
खो गयी तो शाम ज़िन्दगी 
--------------------------------------------
हर गरीब अमीर के लिए 
बन गयी इक काम ज़िन्दगी
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सांस के क़दमों से पूछियें 
है कितना बड़ा काम  ज़िन्दगी
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Comment

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 14, 2012 at 10:01am

वाकई बड़ा काम है जिन्दगी 

रुक गयी सांस तो न रहे जिन्दगी - संक्षित में सुंदर भाव प्रस्तुति बधाई अजय शर्मा जी 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 14, 2012 at 7:08am

अजय जी, आपके भाव-बंद प्रभावी हैं.

शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 13, 2012 at 9:09pm

मिल गयी तो  सुबह हो  गयी 

खो गयी तो शाम ज़िन्दगी 
------उम्दा भाव अच्छी रचना 

कृपया ध्यान दे...

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