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********************

तुम हकीकत हो
या ख़्वाब?
बतादो ना.
अरज है मेरी
ज़नाब
बतादो ना.
तुम्हारे ही ख़्वाबों में
मैं जीता हूँ,तुम्हारी आँखों से ही
मैं पीता हूँ.
तुम अमृत हो
या शराब ?
बतादो ना.
अपनी जिंदगी का अक्स
तुम्हीं में देखता हूँ,
अपनी जिंदगी के मायने
तुम्हीं में पढता हूँ.
तुम आईना हो
या किताब?
बतादो ना.
जिंदगी के समंदर का
ज्वार भी तुम हो,
मेरी कश्ती और
पतवार भी तुम हो.
तुम सवाल हो
या कि ज़वाब?
बतादो ना.
अपने दिन रौशन है
तुम्हीं से यारा,
अपनी रातों में है
तुम्हीं से उजियारा.
तुम आफ़ताब हो
या माहताब?
बतादो ना.
तुम्हारे दीदार से ही
जीवन में रंग है,
खुशबु तुम्हारी
हर पल मेरे संग है.
तुम गुलमोहर हो
या गुलाब?
बतादो ना.
तुम हकीकत हो
या ख़्वाब?
बतादो ना.
अरज है मेरी
ज़नाब
बतादो ना.

********************

-- अशोक पुनमिया 

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Comment

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Comment by PHOOL SINGH on August 28, 2012 at 3:37pm

अशोक जी नमस्कार

बहुत ही सुंदर भावपूर्ण .........रचना के लिए बधाई

फूल सिंह

Comment by अशोक पुनमिया on August 22, 2012 at 1:47pm

राजेश कुमार जी झा साहब,

रचना पर टिप्पणी के लिए आभार.
Comment by अशोक पुनमिया on August 22, 2012 at 1:45pm

योगराज जी साहब,

आपका मार्गदर्शन मुझे अपने लेखन में निरंतर सुधार के लिए प्रेरित करता है.
हार्दिक आभार आपका.
Comment by अशोक पुनमिया on August 22, 2012 at 1:42pm

संदीप जी,

शुक्रिया आपकी टिप्पणी के लिए.
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 22, 2012 at 12:22pm

वाह वाह क्या बात है जनाब बहुत खूबसूरत भाव संजोय हैं आपने
इस सुन्दर रचना हेतु बधाई आपको
प्रवाह के साथ साथ अनुपम  कोमल शब्दावली है


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on August 22, 2012 at 12:08pm

बहुत ही सुन्दर और कोमल भावनायों से साथ बेहद बढ़िया शब्द संजोयन. सवाल दर सवाल उठाती इस प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें अशोक भाई,

Comment by राजेश 'मृदु' on August 21, 2012 at 6:07pm

कोमल भावनाओं में मनुहार मिलाते हुए एक खूबसूरत रचना बहुत सुंदर लगी

Comment by अशोक पुनमिया on August 21, 2012 at 2:50pm

रेखा जी,

शुक्रिया आपकी टिप्पणी के लिए.
Comment by Rekha Joshi on August 21, 2012 at 11:41am

तुम हकीकत हो
या ख़्वाब?
बतादो ना.
अरज है मेरी 
ज़नाब
बतादो ना.,अशोक जी अति सुंदर भाव ,तुम हकीकत हो या ख़्वाब ,बस हर तरफ तुम ही तुम हो ,बहुत खूब ,बधाई 

Comment by अशोक पुनमिया on August 20, 2012 at 8:36pm

आदरणीया  राजेश कुमारी जी,

आपकी होसला अफजाई प्रेरणा देती है कुछ लिखने की.
आपका आभार.

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