For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी सखी

कभी चंचल है, कभी है गंभीर

कभी हवा सी है, कभी जैसे नीर 

कभी मोती जैसे खानेके वो

कभी चन्दन जैसे महके वो

कभी बदलो की ओट से

चिड़िया बनके चहके वो 

कभी नदी की धरा बनके 

मेरे बदन पे है वो बही

मैं उसका सखा, वो मेरी सखी...

 

कभी बड़ बड़ बोले, कभी रहे वो मौन

कभी मुझसे पूछे, मैं उसका कौन

कभी प्रेम भरे वो रिश्ते बनाए

कभी मेहंदी से मेरा नाम सजाये

कभी क्रोध से मुझपे बरसे वो

कभी प्रेम का पानी वो बरसाए

कभी चुम्बक बनके खींचे मुझको

उसकी ये प्यारी बाते सभी

मैं उसका सखा, वो मेरी सखी…

 

कभी रूठे वो, कभी मुझे मनाये

कभी लिपटे मुझसे, कभी यूँ ही लजाये

कभी गहनों से श्रींगार करे

कभी मेरे नाम का सिन्दूर भरे

कभी प्राण ही ले ले मेरे वो

कभी मेरे लिए वो स्वयं मरे

कभी झूठ मूठ की बातें बनाकर

जोर जोर से है मुझपे हंसी

मैं उसका सखा, वो मेरी सखी...

 

 

 

 

Views: 799

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shahrukh siddiqui on August 13, 2012 at 1:10am

ati sundar ranveer ji aapne to prem me sarabor kar diya, badhaai 

Comment by Ranveer Pratap Singh on August 12, 2012 at 12:13am

@rajesh kumari  dhanywaad rajesh ji...

Comment by Ranveer Pratap Singh on August 12, 2012 at 12:12am

@ Rekha Joshi aapka bahut bahut dhanywaad Rekha ji jo aap har baar mujhe protsaahit karti hain... dhanywaad

 

Comment by Rekha Joshi on August 11, 2012 at 1:47pm

कभी प्रेम भरे वो रिश्ते बनाए

कभी मेहंदी से मेरा नाम सजाये

कभी क्रोध से मुझपे बरसे वो

कभी प्रेम का पानी वो बरसाए

कभी चुम्बक बनके खींचे मुझको

उसकी ये प्यारी बाते सभी

मैं उसका सखा, वो मेरी सखी…

अति सुंदर भाव आदरनीय रणवीर जी ,बहुत बहुत बधाई 

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 11, 2012 at 9:49am

बहुत सुन्दर अहसास  प्रेम रस में पगी सुन्दर रचना हेतु बधाई 

Comment by Ranveer Pratap Singh on August 10, 2012 at 11:12pm

 Dr.Prachi Singh ji dhanywaad...

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 10, 2012 at 8:53pm
बहुत सुन्दर मधुर प्रेम मय रचना..हार्दिक बधाई इन कोमल भावों की अभिव्यक्ति पर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service