For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये सुन्दर - सुन्दर बालायें बाबाजी

तुम भी खाओ, हम भी खायें बाबाजी
आओ,  मिल कर देश चबायें बाबाजी

राजनीति में किसी तरह घुस जाएँ तो
जीवन भर आनन्द मनायें  बाबाजी

चोर - चोर मौसेरे भाई हैं तो फिर
इक दूजे के काम में आयें बाबाजी

क्लब में चाहे मुन्नी को बदनाम करें
मंच पे जन गण मन ही गायें बाबाजी

सबकुछ  खोया, तब फिल्मों में आई हैं
ये सुन्दर - सुन्दर बालायें बाबाजी

घर से ज़्यादा तपन है बाहर सड़कों पर
कहाँ पे जा कर राहत पायें बाबाजी

पेट की खातिर दिन भर दौड़े 'अलबेला'
जी करता है, अब सो जायें बाबाजी

JAI HIND !

Views: 736

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on June 27, 2012 at 9:41pm


बहुत बहुत शुक्रिया  राज़ जी.......
धन्यवाद

Comment by राज़ नवादवी on June 27, 2012 at 9:35pm

तुम भी खाओ, हम भी खायें बाबाजी 
आओ,  मिल कर देश चबायें बाबाजी 

तंज और मिजाह के गुदगुदा देनेवाले जुमले. बहुत अच्छे!

- राज़ 

Comment by Albela Khatri on June 16, 2012 at 10:40pm

आदरणीय  उमाशंकर मिश्रा जी..........
एक ज़माना था  जब बिहारी जैसे कवि को एक एक दोहे की रचना के लिए राजा द्वारा  सोने की मुहरें  इनाम में मिलती थीं....कुछ वैसा ही मुझे  यहाँ लग रहा है जब हर  रचना पर आप इस प्रकार उन्मुक्त सराहना देते हो..........आप धन्य हो..आपका प्यार धन्य है जी.........

आपकी कविता ने  ख़ूब प्रभावित किया ...मैंने कहा झंडे गाड़ दिए जी........
___सादर  साभार

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 16, 2012 at 10:30pm

सादर समर्पित...आदरणीय
आप कहें या हम एक ही बोली है
आप प्यार से दो हमारी गोली है

देश चबाये कहो दो इनको देशभक्षी
इनसे पीछे हो गए हैं देखो नरभक्षी

ये दीमक की तरह यहाँ घुस आते है
देश सेवा के नाम में वेतन पाते  हैं

बाहर झगड़ा झंझट ये दिखलाते हैं
फायदा हो इनका तो एक हो जाते हैं

भोर जन गण बजे या बजे वंदे मातरम
रात को ना जाने क्या क्या..... चबाते हैं

आपकी बहेतरीन रचना को दंडवत हमेशा की  तरह
बहेतरीन अलबेली प्रस्तुति के लिए  बधाई हो प्रिय अलबेला जी

Comment by Albela Khatri on June 16, 2012 at 4:02pm

धन्यवाद  डॉ प्राची सिंह जी......


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 16, 2012 at 3:49pm

waah waah kya baat hai..

Comment by Albela Khatri on June 16, 2012 at 2:31pm

आदरणीय प्रदीप जी,  आप जैसे वरिष्ठ जनों का  स्नेह और आशीर्वाद मेरी  सबसे बड़ी पूंजी है . आपके  मन को मेरी कोई  रचना भा गई, इससे बड़ी बात मेरे लिए और क्या हो सकती है
___आपका धन्यवाद !

Comment by Albela Khatri on June 16, 2012 at 2:27pm

आभार....कुमार गौरव अजीतेंदु जी.........

Comment by Albela Khatri on June 16, 2012 at 2:26pm

धन्यवाद राजेश कुमारी जी,
बाबाजी को आपकी दाद बहुत पसन्द आई.....
_____साभार

Comment by Albela Khatri on June 16, 2012 at 2:24pm

धन्यवाद  नीलांश जी........

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service