For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुश्बू से तेरी जब कभी मैं रू-ब-रू हुआ

"""गिरधर ओ मेरे श्याम तुमसे कायनात है
ये सब है तेरा ही करम तुमसे हयात है""""

खुश्बू से तेरी जब कभी मैं रू-ब-रू हुआ
दामन-ए-हिरस-ओ-हबस बे आबरू हुआ

किस्से मैं तेरे सुन रहा हूँ एहतिराम से
पाना है तुझे अब मेरी तू जुस्तजू हुआ

रहमत की नज़र हर्फों में कैसे बयाँ करूँ
आँखों को भिगो कर हमेशा बावजू हुआ

जादू सा तेरा ये करम मैं किस तरह कहूँ
ख्वाबों में दिखा जो वही तो हू-ब-हू हुआ

तरसा मैं तेरे दीद को इक आरजू लिए
जलवा ये तेरा मैं कहूँ क्या तू ही तू हुआ

तुमसे ही मिली बरकतें मुझ नामुराद को
लब पर जो मेरे जिक्र भी कभू कभू हुआ

दर से जो तेरे दूर थे बदनाम ही रहे
आया जो तेरे दर वही अब कू-ब-कू हुआ

इज्ज़त है तेरे करम से ही इस गुलाम की
सूरज सा लगा दीप भी यूँ सुर्खरू हुआ

...........संदीप पटेल "दीप".........

Views: 388

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 6, 2012 at 11:51am

भई वह संदीप जी - बहुत खूब.

Comment by आशीष यादव on June 6, 2012 at 7:41am
वाह संदीप सर,
उम्दा प्रस्तुति। बेहतरीन रचना।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 5, 2012 at 6:02pm

भक्ति भाव से परिपूर्ण ग़ज़ल  बहुत उम्दा भाव ..बधाई 

Comment by Rekha Joshi on June 5, 2012 at 5:42pm

तरसा मैं तेरे दीद को इक आरजू लिए
जलवा ये तेरा मैं कहूँ क्या तू ही तू हुआ,ati sundr bhaav ,badhai 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 5, 2012 at 5:23pm

बहुत खूब सूरत भाव, बधाई 

Comment by Albela Khatri on June 5, 2012 at 9:24am

waah waah Sandeep Patel DEEP ji,

bahut umda gazal.............mubaraq !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service