For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अरे शिकवा नहीं कोई,शिकायत क्या करू तुझसे?

वली है तू सनम मेरा,इबादत की इजाजत दे||१||


बहुत अब देख ली दुनिया,नहीं अब देखना कुछ भी|

लहर उठती नहीं कोई कयामत की इजाजत दे||२||


मुझे खामोश करने पर अमादा है सियासत क्यों?

मेरा दिल भी धडकता है,मुहब्बत की इजाजत दे||३||


मेरी आँखों में पानी की नहीं बूंदे, है चिंगारी|

हुए हैं लोग मुर्दा तो फिर आतस की इजाजत दे||४||


चला था कारवां लेकर मेरा रहबर ही रहजन था|

नहीं है मानना अब कुछ तू आफत की इजाजत दे||५||


मेरे भी पास खंजर है, तेरे भी पास खंजर है,

जो लड़ना है तो खुल के आ,अदावत की इजाजत दे||६||


बहकते है बशर क्या खुद फ़रिश्ते नौजवानी में|

गिला है क्यों तुझे मुझसे,सदाकत की इजाजत दे||७||

Views: 769

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on April 2, 2012 at 11:13pm

छंदबद्ध और सरलतम निकले हैं उदगार|

गुरुवर का आशीष है,भाई को आभार|

भाई आशीष जी आपकी काव्यात्मक प्रतिक्रिया को सादर नमन|

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on April 2, 2012 at 11:09pm

आदरणीय शाही जी,

मैं तो आपके कथन शक्ति का कायल हूँ,यह बात अलग है की मैं अधिकतर तरन्नुम में लिखता हूँ और आप अधिकांशतः तहद में लिखते है फिर भी आपके प्रत्येक आलेख में भाषा का वाह प्रवाह है जो आपके आलेखों को एक गद्यगीत से थोडा सा भी कमतर नहीं होने देते|भाषा से मेरा हमेशा लगाव रहा है इसमें प्रतिभा जैसी कोई बात नहीं|आपका हार्दिक आभार|विलम्बित प्रतिक्रिया के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ|

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on April 2, 2012 at 11:04pm

धन्यवाद प्रदीप सर|

आपके प्रोत्साहन की सदैव प्रतीक्षा रहेगी|देर के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ|

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on April 2, 2012 at 11:02pm

आदरणीया सीमा जी,

आपके प्रतिक्रया व प्रोत्साहन का शुक्रिया|देर के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ|धन्यवाद|

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on April 2, 2012 at 11:00pm

आदरणीय सौरभ सर..

मैं अभिभूत हुआ..बहुत बहुत धन्यवाद|देर से प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ|

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on April 2, 2012 at 10:58pm

भाई विन्ध्येश्वरी जी आपकी प्रतिक्रिया पर बहुत देर के बाद नजर पड़ी, इसके लिए ह्रदय से क्षमाप्रार्थी हूँ|आपकी स्नेहसिक्त प्रतिक्रया का हार्दिक आभार|

Comment by आशीष यादव on April 2, 2012 at 5:01pm
अति सुन्दर अशआर है, रक्खे गहरे भाव।
कथ्य शिल्प सुन्दर बहुत, मुख से निकले वाव॥
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 15, 2012 at 11:45am

मैं  तो आनंद ही ले  रहा हूँ. बधाई. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 14, 2012 at 11:19pm

कहा तो फुटकर अश’आर मगर शे’र संकलन बनाते हैं.

बढिया प्रयास के लिये हार्दिक बधाई.

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 14, 2012 at 5:53pm
आदरणीय मयंक जी लाजवाब पक्तिं है बहुत अच्छी लगी-
'मेरे भी पास खंजर है तेरे भी पास खंजर।
जो लड़ना ते खुलके आ अदावत की इजाजत दे।'
फिल्हाल पूरी रचना के लिए बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service