For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(१)

जागरण की

वेला में सो रही है

सारी दुनिया|

(२)

मस्त आँखों में

ख़्वाब जिन्दा है साकी

निगहबानी|

(३)

जा रहा हूँ मैं

आँख में अपने ले

गरम आंसू|

(४)

तेरी खातिर

देख तो लाया दर्द

का मलहम|

(५)

जब नहीं है

काम मुझसे तेरा

अजनबी मैं|

(६)

इश्क की बातें

फिर कभी कहना

आज रोने दे|

(७)

तेरे होंठो पर

नाम किस किस के

आज आते हैं|

Views: 380

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 15, 2012 at 11:21am

मैं  तो आनंद ही ले  रहा हूँ. बधाई. 

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on March 14, 2012 at 4:47pm

प्रिय मित्र वाहिद जी,आदरणीय अभिनव भाई और स्नेही बागी जी..आप सभी लोगों को तहे दिल से शुक्रिया|

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on March 14, 2012 at 4:44pm

टूट ही जाती,

कोशिशें कर के भी,

ढेरों आशाएं|

आदरणीय बागी जी, उत्साहवर्धन एवं गलतियों पर ध्यान देने के लिए आपका ह्रदय से आभारी हूँ|वस्तुतः मैं हिंदी भाषा में ही कुछ लिख लेता हूँ और आज तक भारतीय विधाओं में ही लेखन का प्रयास किया है|आदरणीय आशा जी के हाइकू देखे तो ५,७,५ की गुणा गणित को ध्यान में रखकर जो मन में आया सो लिख दिया|आपका मार्गदर्शन पाकर अब मैं और अच्छा लिख पाऊंगा ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है और मैं चाहूँगा की आप मेरी प्रत्येक रचना पर अपना मत व्यक्त करे ताकि छिद्रों का निवारण हो सके|वैसे  ''निज कवित्त कही लाग न निकी,रुचिर होय अथवा अति फीकी'' वाली मानसिकता तो होती ही है|

Comment by Abhinav Arun on March 14, 2012 at 3:03pm

बहुत ख़ास है आपके हाइकू श्री मनोज -

जब नहीं है

काम मुझसे तेरा

अजनबी मैं|

क्या बात है बहुत अच्छा हार्दिक बधाई आपको !!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 14, 2012 at 2:10pm

हाइकु ३ व् ६ शिल्प पर खरे है, ज्ञात हो कि केवल ५-७-५ वर्ण में वाक्य को खंडित करना ही हाइकु नहीं है अपितु तीनो चरण स्वतंत्र होने चाहिए । प्रयास पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 14, 2012 at 12:16pm

हाइकू विधा में अच्छा प्रयास है मनोज भाई.. :-)

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
21 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service