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प्रतियोगिता परिणाम: "चित्र से काव्य तक" अंक-१२

प्रतियोगिता परिणाम: "चित्र से काव्य तक" अंक-१२

नमस्कार साथियों,

"चित्र से काव्य तक" अंक -१२ प्रतियोगिता से संबधित निर्णायकों का निर्णय आपके समक्ष प्रस्तुत करने का समय आ गया है | हमेशा की तरह इस बार भी प्रतियोगिता का निर्णय करना अत्यंत कठिन कार्य था जिसे हमारे निर्णायकों श्रीमती सीमा अग्रवाल व श्री नीरज नें अत्यंत परिश्रम से संपन्न किया है जिसके लिए हम उनका हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं |

दोस्तों ! इस बार का चित्र भी पिछली प्रतियोगिता से सम्बंधित चित्र की तुलना में कुछ कम प्रभावशाली नहीं रहा..... जिस पर आधारित रचनाओं के माध्यम से हमारे साथियों नें अपनी सरहद के रणबांकुरों को बहुत मान दिया है | लगातार तीन दिनों तक चली इस प्रतियोगिता के अंतर्गत कुल ८८८ रिप्लाई आयीं हैं  जो कि संतोषजनक हैं | इस हेतु सभी ओ बी ओ सदस्य बधाई के पात्र हैं |

इस प्रतियोगिता के अंतर्गत अधिकतर  कुंडलिया , दुर्मिल सवैया,  मत्तगयन्द सवैया, मालिनी छंद, दोहा, घनाक्षरी, तोटक, तोमर, सोरठा, वीर छंद, चौपाई आदि अनेक विधाओं में छंद प्रस्तुत किये गये, पिछली बार की तरह इस बार भी छंदों की कुछ ऐसी रसधार बही कि सभी कुछ छंदमय हो गया|  इस प्रतियोगिता में समस्त प्रतिभागियों के मध्य, आदरणीया सीमा अग्रवाल जी, आदरणीय संजय मिश्र 'हबीब' , डॉ० ब्रजेश त्रिपाठी, धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’,  व आदरणीय गणेश जी बागी, आदरणीय योगराज प्रभाकर जी व  आदरणीय धर्मेन्द्र शर्मा जी आदि  ने अंत तक अपनी बेहतरीन टिप्पणियों के माध्यम से सभी प्रतिभागियों व संचालकों के मध्य परस्पर संवाद कायम रखा तथा तथा प्रतिक्रियाओं में छंदों का खुलकर प्रयोग करके इस प्रतियोगिता को और भी रुचिकर व आकर्षक बना दिया | आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , श्री गणेश जी बागी, श्री धर्मेन्द्र कुमार सिंह (सज्जन), श्री संजय मिश्र 'हबीब' जी, आदि नें भी प्रतियोगिता से बाहर रहकर मात्र उत्साहवर्धन के उद्देश्य से ही अपनी-अपनी स्तरीय रचनाएँ पोस्ट कीं जो कि सभी प्रतिभागियों को चित्र की परिधि के अंतर्गत ही अनुशासित सृजन की ओर प्रेरित करती रहीं, साथ-साथ सभी नें अन्य साथियों की रचनायों की खुले दिल से निष्पक्ष समीक्षा व प्रशंसा भी की जो कि इस प्रतियोगिता की गति को त्वरित करती रही | प्रसन्नता की बात यह भी है कि अभी-अभी हाल में ही ओ बी ओ से जुड़े हमारे नए सदस्य इस प्रतियोगिता को लेकर बहुत उत्साहित हो रहे हैं !

बंधुओं ! अत्यंत हर्ष का विषय यह है कि चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता छंदबद्ध होकर अपेक्षित गुणवत्ता की ओर अग्रसर हो रही है...........

इस यज्ञ में काव्य-रूपी आहुतियाँ डालने के लिए सभी ओ बी ओ मित्रों का हार्दिक आभार...

प्रतियोगिता का निर्णय कुछ इस प्रकार से है...

_______________________________________________________________________

प्रथम पुरस्कार रूपये १००१/- व प्रमाण पत्र
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company

 प्रथम स्थान : पर श्री दुष्यंत सेवक जी  के दोहे प्रतिष्ठित हुए हैं |

 (१)

श्री दुष्यंत सेवक

‘दोहे’

१.विपदा जैसी भी रहे, कर्मवीर तैयार |

मानव की सेवा करै, दुश्मन का संहार ||

२. थर थर काँपे धारिणी, नदिया छोड़े तीर |

राहत और बचाव में, सदा अग्रणी वीर ||

३. अरिमर्दन को हैं डटे, भारत माँ के पूत |

मन साहस की खान है, तन में शक्ति अकूत ||

४. दीवाली होली गई, सीमा पर ही बीत |

क्रिसमस राखी ईद की, वहीँ निभाई रीत ||

५. हिम आच्छादित श्रृंग या, मरु की तपती रेत |

प्रहरी ये प्राचीर के, रहते सदा सचेत ||

 ___________________________________________________________________

द्वितीय पुरस्कार रुपये ५०१/- व प्रमाण पत्र
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali

A leading software development Company

द्वितीय स्थान ;  पर श्री विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी जी की चौपाई विराजमान हैं | 

चौपाई-
(प्रत्येक चरण में 16-16 मात्रायें, चरण के अंत में गुरू वर्ण आवश्यक)

देस क वीर करैं रखवारी। ज्यों सुत को राखै महतारी॥
सहैं सीत औ सीतल पौना। अम्बर छत धरती है बिछौना॥1॥
दुर्गम मार्ग कठिन है जीना। किन्तु खड़े ये ताने सीना॥
भारत रक्षा लक्ष्य प्रधाना। चाहे रहै जाय या प्राना॥2॥
जब लग रहै सरीर म सांसा। वीर करैं बैरी कै नासा॥
हर विपदा में आवें कामा। सीस कफन केसरिया जामा॥3॥
देव करै या मनुज बनावे। चाहे जइसन आफति आवे॥
बैरी बाल क बंधक कीने। वीर बांकुरा जाय के छीने॥4॥
मन मा मोद मनहि मुस्काई। चले सौंपने गोंद उठाई॥
लो बालक पकरौ महतारी। सिरजौ सुत सनेह सम्भारी॥5॥
पोछौ आपन आंसू माता। हमरे रहत न चिंतक बाता॥
बालक मुदित वीरता भारी। बनि सैनिक हम कर्ज उतारी॥6॥
_________________________________________________________________

तृतीय पुरस्कार रुपये २५१/-  व प्रमाण पत्र
प्रायोजक :-Rahul Computers, Patiala

A leading publishing House

तृतीय स्थान : श्री अरुण श्रीवास्तव जी के ‘कुंडलिया’ छंद को जाता है |

कुंडलिया

हरने विपदा आ डटे , अडिग हौसले साथ

दीप सुरक्षित देश का , है  सूरज  के हाथ

है सूरज  के  हाथ , पोछते  भीगे  लोचन

कहती माँ की गोद ,नमन हे संकट मोचन

हो जब अरि से रार ,साजते हैं निज गहने

प्राण  बचाते  हाथ , प्राण लगते  हैं  हरने

प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान के उपरोक्त सभी विजेताओं को सम्पूर्ण ओ बी ओ परिवार की ओर से हार्दिक बधाई व साधुवाद...

प्रथम व द्वितीय स्थान के उपरोक्त दोनों विजेता आगामी "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक-१३   के निर्णायक के रूप में भी स्वतः नामित हो गए हैं, तथा आप दोनों की रचनायें आगामी अंक के लिए स्वतः प्रतियोगिता से बाहर होगी |

जय ओ बी ओ!

अम्बरीष श्रीवास्तव

अध्यक्ष,

"चित्र से काव्य तक" समूह

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार

 

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Replies to This Discussion

प्रतियोगिता के तीनो विजेतायों भाई  दुष्यंत सेवक जी, भाई विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी जी, एवं भाई अरुण श्रीवास्तव जी को हार्दिक बधाई देता हूँ. इन तीनो युवा साथियों को छंदों में  काव्य अभिव्यक्ति करते देखना वाकई बहुत सुखद अनुभव रहा.  इस बहुत ही बेहतरीन निर्णय के लिए निर्णायक मंडल को भी मेरी हार्दिक बधाई.

आदरणीय प्रधान संपादक महोदय... सर्वप्रथम आपको ह्रदय से धन्यवाद की अपने मेरा ओ बी ओ की ओर मार्ग प्रशस्त किया... यदि यह  मंच न होता तो मैं शायद यह जान भी नहीं पाता कि मैं लिख भी सकता हूँ... प्रस्तुत रचना को इतना मान देने के लिए मैं निर्णायक मंडल, आदरणीय संचालक महोदय तथा आपको बारम्बार धन्यवाद देता हूँ. उन सभी टिप्पणीकर्ताओं का हार्दिक धन्यवाद जिन्होंने यथोचित सुधार कर मेरी अनगढ़ रचना को सुगढ़ बनाया... जय ओ बी ओ

आपने सही कहा दुष्यंत भाई जी।मुझे भी यह पता नहीं था कि मैं भी लिख लेता हूं और वह भी गुरुजनों के चरण सान्निध्य में समर्पित करने लायक।हाँ यह भरोसा अवश्य था कि कुछेक टूटी-फूटी पंक्तियां जोड़ लेता हूँ।लेकिन ओ.बी.ओ. के आंगन में हम नवपादपों के मन में काव्य का जो नव सुमन प्रस्पुटित हुआ,निस्संदेह उसमें कहीं न कहीं हमारे गुरुजनों-आदरणीय गुरुदेव श्री सौरभ सर जी,आदरणीय श्री प्रभाकर सर जी,आदरणीय श्री बागी सर जी,आदरणीय श्री वीनस जी एवं एवं अन्य सुधी गुरुजनों के आशीर्वादामृत को ही श्रेय है।ऐसे ईश तुल्य गुरुजनों को सादर पद-वंदन।
आदरणीय प्रभाकर सर जी को पुनश्च भूरि-भूरि आभार।

धन्यवाद आदरणीय !

आदरेया सीमा जी, आपको यह दोहा रुचा.. सो मेरा श्रम सार्थक हुआ... यहीं सीखा है और यहीं खुद पर प्रयोग भी कर रहे हैं... आप सब का इसी तरह स्नेहाशीष मिलता रहे ... सादर

हार्दिक आभार आदरणीय सीमा दी।

चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता में विजेता बनने पर भाई दुष्यंतजी, भाई विंध्येश्वरीजी तथा भाई अरुणजी को अतेंद्र की तरफ से हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ.

हार्दिक आभार अतेन्द्र सर जी!

तीनों विजेताओं को बधाई व शुभकामनायें. 

हार्दिक आभार शन्नो दी।

आदरणीय अम्बरीश जी,

प्रतियोगिता की विराट सफलता हेतु बधाइयाँ.
प्रतियोगिता के बहाने छंदों की ऐसी रसधार बही की बस!
इस बार मै ज्यादा प्रतिक्रियाएं नहीं दे पाया इस बात का मुझे दुःख है.
अपरिहार्य कारणों से मै पूरी तरह जुड़ नहीं पाया.
इसे अन्यथा न ले.
सदैव इसी तरह ओ.बी.ओ. की सारी गतिविधियाँ गतिशील रहे
इसी कामना और भावना के साथ
आपका ही
अविनाश.....

स्वागत है मित्र ! आपका हार्दिक धन्यवाद ! ईश्वर से कामना है कि आप स्वस्थ सानंद व सक्रिय रहें ! सादर ...

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