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"OBO लाइव महा उत्सव" अंक १७ (Now Closed With 1737 Replies)

आदरणीय साहित्य प्रेमियों

सादर वन्दे,


"ओबीओ लाईव महा उत्सव" के १७  वे अंक के आयोजन का समय भी आ पहुंचा. पिछले १६  कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने १६ विभिन्न विषयों पर बड़े जोशो खरोश के साथ और बढ़ चढ़ कर कलम आजमाई की. जैसा कि आप सब को ज्ञात ही है कि दरअसल यह आयोजन रचनाकारों के लिए अपनी कलम की धार को और भी तेज़ करने का अवसर प्रदान करता है, इस आयोजन पर एक कोई विषय या शब्द देकर रचनाकारों को उस पर अपनी रचनायें प्रस्तुत करने के लिए कहा जाता है.

.

लेकिन इस की बात कुछ अलग ही है, क्योंकि मौका है होली का और होली का नाम सुनते ही एक अजीब सी ख़ुशी की लहर तन-ओ-मन पर तारी होने लगती है. बदलती रुत, रंगों की बौछार, उड़ता हुआ अबीर-गुलाल, भांग-ठंडाई, गोपियों को रंगती मस्तों की टोलियाँ, बरसाने की लाठियां, वृन्दावन की गलियां, माँ के हाथ की गुझिया - क्या नहीं है इस त्यौहार में.  एक ऐसा अवसर जहाँ छोटे-बड़े का फर्क बेमायनी हो जाता है, जहाँ बूढा ससुर भी देवर बन जाता है. तभी तो शायद अल्लामा इकबाल ने भी कहा है : 

.

अच्छा है दिल के पास रहे पासवान-ए-अक्ल

लेकिन कभी कभी इसे तनहा भी छोड़ दे  

.

तो फिर आओं साथियों, रखें पासवान-ए-अक्ल को थोडा दूर, उठाएँ अपनी अपनी पिचकारी  ना..ना..ना..ना...ना... अपनी कलम और रच डालें कोई ऐसी रंग-बिरंगी हुडदंगी रचना कि होली का मज़ा दोबाला हो जाए. तो पेश है साहिबान :

.

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक  १७  
विषय - "होली का हुडदंग - ओबीओ के संग"  

आयोजन की अवधि ५ मार्च २०१२ सोमवार से ७ मार्च २०१२ बुधवार तक 

.

महा उत्सव के लिए दिए विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है |

उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम निम्न है: -


  1. तुकांत कविता
  2. अतुकांत आधुनिक कविता
  3. हास्य कविता
  4. गीत-नवगीत
  5. ग़ज़ल
  6. हाइकु
  7. व्यंग्य काव्य
  8. मुक्तक
  9. छंद  (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका इत्यादि)



अति आवश्यक सूचना :- "OBO लाइव महा उत्सव" अंक- १५ में सदस्यगण  आयोजन अवधि में अधिकतम तीन स्तरीय प्रविष्टियाँ  ही प्रस्तुत कर सकेंगे | नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा गैर स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटा दिया जाएगा, यह अधिकार प्रबंधन सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी |


(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो सोमवार मार्च ५  लगते ही खोल दिया जायेगा )


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"महा उत्सव"  के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...

"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

मंच संचालक

धर्मेन्द्र शर्मा (धरम)

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Replies to This Discussion

क्या ग़ज़ब का रंग है, कैसे-कैसे भोग

अम्बर मीठा बेचते, पाले ’मीठा रोग’ .. .


आदरणीय सौरभ जी....वेरायटी देखिए....और बन्दे के बैठने की अदा...एक सुकून सा है चेहरे पर.

बहुते है वेरायटी, साजे है सामान 

खाये बैठा खुद यहाँ, हलवाई पकवान

हलवाई पकवान, नज़र ना आवे लोटा

ऐसा आसन यार, हरिक को भोर में होता

भाई हैं अमरीष, डुब्बी मार के पीते

कहीं बच गया यार, कहें फिर ’बचा बहुते’ 

 

हा हा हा हा ....  :-)))))))))))))))))

इतनी मिठाइयों के साथ तो ध्यान ही नहीं रुक रहा है अंबरीष जी पर। यम यम...........

अम्बरीश जी आपका बहुत खूब है वेश 

हलवाई होँ पर भले लगते हैं दरवेश

लगते हैं दरवेश, मियाँ ये है ओ बी ओ 

यहाँ मिठाई नहीं यहाँ रचनाएँ जीओ

लड्डू में है भांग मुझे ये मालुम है जी

चुपके चुपके भांग खिलाएं अम्बरीश जी


अम्बरीश भाई आधा किलो पलंग तोड़ मिठाई तो दीजिये तनिक

हे भगवान !

अंबरीश जी ने लिया है ठान   

लगाई है हलवाई की दूकान 

उकडूँ बैठे फ्लोर है चीकट

माल बेचते यहाँ फटाफट  

लुंगी और बनियान पहनकर    

पेड़ों में हैं भांग मिला कर 

एक किलो का माल बेचते

और मुफ्त में दो पेड़े भी देते    

ग्राहक लोगों बच के रहना 

मुफ्त के पेड़े ना तुम लेना

भांग पड़ी है खूब ही उनमें

करो गुजारा अब तुम कम में 

फर्ज है अपना तुम्हें बताना 

बाद में कहीं पड़े पछताना l

:)))) 

अंबरीश जी, आपको सपरिवार होली की ढेरों शुभकामनायें !


वाह क्या सजीव वर्णन किया है अम्बरीश भाई की वेशभूषा का आपने आदरणीया शन्नो जी....

Bhang ho ya rang.........mere aage........huh dekh lenge.....

ऐसी बनी चाशनी
मुँह में पानी आय
अंबरीश जी सोचें
कोई तो आके खाय

holi hai bhai holi hai..........bura na mano holi hai.....holi ki shubhkamnaye...

सब मिला क़र एक किलो पैक कीजिए ..........

चिमकी नहीं तो टाट से ढँक लो सब मिष्ठान.
धंधा में अग्रज की बातें आँख मूंद कर मान.
........... होली मुबारक आदरणीय श्रीवास्तव साहेब

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"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
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