For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अकेला .......

अकेला
एक शब्द
स्वयं मे अकेला|
हजारों कि भीड़ मे
एक अहसास
अकेले होने का
इंसान को अकेला कर देता है
समाज मे,स्वयं कि सोच मे|

कितना अजीब सा है
यह अहसास
अकेलेपन का ?

कभी सोचा है तुमने
किसी सुखी मनुष्य का बारे मे
क्या उसे सालता है अहसास
अकेलेपन का
अथवा यह है अनुभूति
केवल दुखी मनुष्य के साथ?

अकेलापन किसी कि बपौती नहीं
यह है मात्र अहसास
विचारों के साथ|

कभी कभी अच्छा लगता है
अकेलापन
किसी कि सुनहरी
यादों के साथ|

तन्हाई मे अकेले
बहुत लोग होते हैं
संग मे कुछ ख्वाब जुड़े होते हैं
पर
चंद लोग
जो भीड़ मे रहकर भी
अकेले होते हैं
यादों मे भी उनके संग कोई नहीं होते हैं
तब काटता है उन्हें
अकेलापन
और मुश्किल होता है
उनके लिए
अकेलेपन का अहसास|

शायद उनमे से ही कुछ लोग
चिन्तक बन जाते हैं
जब
अकेलेपन की
बंजर धरती पर
विचारों के फूल
खिल जाते हैं|

डॉ अ कीर्तिवर्धन
९९११३२३७३२

Views: 440

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by dr a kirtivardhan on January 24, 2012 at 5:11pm

dhanyawad bandhuvar

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on January 22, 2012 at 7:36pm

ये पंक्तियाँ याद आ गईं...

भीड़ में भी रहता हूँ वीरान के सहारे.

जैसे कोई मंदिर किसी गाँव के किनारे...

सुन्दर अभिव्यक्ति डाक्टर साहब, सादर बधाई स्वीकारें...


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 22, 2012 at 5:36pm

चंद लोग
जो भीड़ मे रहकर भी
अकेले होते हैं
यादों मे भी उनके संग कोई नहीं होते हैं
तब काटता है उन्हें
अकेलापन

वाह वाह, बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति डॉ साहब, बधाई हो,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
3 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
30 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
22 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service