For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १५( Now closed with Record 1063 Replies for Mushayra )

 परम आत्मीय स्वजन,

"OBO लाइव महाउत्सव" तथा "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता में आप सभी ने जम कर लुत्फ़ उठाया है उसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १५ और इस बार का तरही मिसरा २६ नवम्बर १९५२ को राय बरेली उत्तर प्रदेश में जन्मे प्रसिद्ध शायर जनाब मुनव्वर राना साहब की गज़ल से हम सबकी कलम आज़माइश के लिए चुना गया है | तो आइये अपनी ख़ूबसूरत ग़ज़लों से मुशायरे को बुलंदियों तक पहुंचा दें |

इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिये

२१२२            २१२२              २१२२         २१२

 
 फायलातुन फायलातुन  फायलातुन फायलुन
( बहरे रमल मुसम्मन महजूफ )
कफिया: आर (अखबार, इतवार, बीमार आदि)
रदीफ   : होना चाहिये

विनम्र निवेदन: कृपया दिए गए रदीफ और काफिये पर ही अपनी गज़ल भेजें | यदि नए लोगों को रदीफ काफिये समझने में दिक्कत हो रही हो तो आदरणीय तिलक राज कपूर जी की कक्षा में यहाँ पर क्लिक कर प्रवेश ले लें और पुराने पाठों को ठीक से पढ़ लें| 

मुशायरे की शुरुआत दिनाकं २८ सितम्बर दिन बुधवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक ३० सितम्बर दिन शुक्रवार के समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा |


अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक १५ जो तीन दिनों तक चलेगा,जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्यअधिकतम तीन स्तरीय गज़लें ही प्रस्तुत की जा सकेंगीं | साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि  नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ किया जा सकता है |
"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

( फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो २८ सितम्बर दिन बुधवार लगते ही खोल दिया जायेगा )

यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |


                                                                                                                मंच संचालक    

                                                                                                              योगराज प्रभाकर

                                                                                                              (प्रधान संपादक)

                                                                                                         ओपन बुक्स ऑनलाइन

Views: 18761

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

इतने लोग तो गंभीर वाली शायरी कर रहे हैं,, अपन ये टूटी फूटी मजाहिया लिख कर ही खुश हैं :)))


वीनस भाई .. पहले बधाई इस ’ग़ज़लनुमा’ पर.  फिर मैं आता हूँ आपके इस शाहकार पर. 

(आज आप वाकई बहुत सिरियस दीख रहे हैं .. यार, मैं भी सिरियस हो गया हूँ.)

हा हा हा

 

मेरी सीरियसनेस तो फूटी पड़ रही है :)))))))

ओह, आपकी सिरियसनेस फूटी नहीं पड़ी है.. .. बजाब्ता फूट रही है.

प्लीज इधर-उधर की निपटा कर आ रहा हूँ.  ..सही, स्वेयर.. .

इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार ....:(

अरे, क़यामत बड़ी जल्दी आ गयी !? 

आ गए सरकार.. अब हमारी करतूत पर कुछ कहेंगे ...

 

Hahahaha, bahot mazaa aaya

स्वागत है,
देख कर सुकून मिला की मेरी बेवकूफियां आपको पसंद आई :)
आभार

बहुत खूब. सुबहान अल्लाह !

हरेक शे’र का सानी अभीतक के कहे मुख़्तलिफ़ ग़ज़लों से लेकर आपने अपनी साहित्यिक समझ और उत्कृष्ट पृष्ठभूमि का परिचय दिया है. मिसरा-ए-सानी दरअस्ल किसी और मौज़ूँ का होने के बावज़ूद आपके उला से गलबहियाँ डाले इतना रच-बस गया है कि हर शे’र अलहदा, उन्मुक्त इकाई दीख रहा है. बहुत-बहुत बधाई.

वीनस भाई, व्यंग्य से मुताल्लिक़ साहित्यिक-संसार, विशेषकर पद्याकाश में सलीकेदार लिहाज रहा है और इस बिना की प्रौढ़ परिपाटी रही है. उसके समकक्ष यदि नहीं, तो उसके समानान्तर अवश्य, कुछ साझा करना इतना सहज नहीं है. बानगी के तौर पर कुछ अशार प्रस्तुत कर रहा हूँ - 

वो जिन्होंने जानते औ बूझते भी शादी की

उन जवानों को नमन शतबार होना चाहिए

या फिर,

बचपना मंडे था यारों,, थी जवानी फ्राईडे

उम्र के इस मोड पर इतवार होना चाहिए

जिन्हें कॉर्पोरेटी संसार के सोमवार की तेज़ी और फ्राइडे के सुकून की समझ है वे झट इस शे’र से तारतम्यता बिठा, उक्त इतवार के बिम्ब के अंतर्निहित अर्थ पर झूम उठेंगे.

हृदय से शुभेच्छा और संवेदना संप्रेषित है वीनसभाई.

 

अब रही बात आपके वर्बोस (verbose) प्रारूप की तो हम जानते हैं कि परिधि पर के सभी विन्दु सम्पूर्ण वृत की परिभाषा का अन्योन्याश्रय हिस्सा हुआ करते हैं.  परन्तु, यह भी सचाई है कि वृताकार इकाइयों का गुरुत्त्व-केन्द्र वृत का केन्द्र ही हुआ करता है जहाँ की गुरुता विन्दु ही होता है, कोई विन्दु-समुच्चय नहीं. शब्द की पराकाष्ठा मौन हुआ करता है.

सबकी अपनी-अपनी समझ होती है जिसके प्रिज्म से वह आस-पास को देखता है, लेकिन अपनी समझ को साझा करना पता नहीं कितने कृतज्ञ ’सौरभ’ का कारण बने.  आप स्वयं राही हैं मैं जानता हूँ पर हमराह से बढ़ कर ख़ैरख़्वाह कोई होता हो तो ऐसा कम ही होता है. आपभी जानते हैं मैं अक्सर अपने वर्चुअल मित्रों सर्वश्री योगराजभाई, अम्बरीषभाई, गणेशभाई, धरमभाई (धरमजी तो अब मेरी हक़ीक़त का भी हिस्सा होचुके हैं) को सादर धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ. इसकी तह में जाइयेगा तो मेरी निरभ्र कृतज्ञता दीखेगी.

आपको मैं इसी परिधि पर देखना चाहता हूँ.  ’स्वांतः सुखाय रघुनाथ गाथा’ लिखने वाले ने कितनों की ज़िन्दग़ी को प्रभावित किया है, कहना न होगा. असीम संभावनाओं को आँखों की लाल डोरियों में उलझाइये मत, वीनस भाई. जाने कितने स्वप्न फुदकते हुए दीखेंगे जो मन-प्राण को आंतरिक आह्लाद से भर देंगे. 

सुनकर उड़ा दें, बात सामान्य सी होगी. किन्तु, सद्-प्रयास सदा से सद्-विचारों की परिणति होते हैं.

शुभेच्छा. ..

वाह सौरभ,,

जी आपने जो कहा होगा अच्छा ही कहा होगा ... :)

 

मेरे दिमाग का संस्कृत और विज्ञान दोनों कोष शून्य है

कला का विद्यार्थी रहा हूँ जिसका आज मुझे सख्त अफ़सोस हो रहा है :((((((((((

भाईजी, बहुत प्रयास किया है आपने.. थोड़ा सा प्रयास और करें.  .. बात कुछ और हो तो बात अलग है.

ये एण्टर की स्टाइल भायी..   इलाहाबादी है न .. !? ..

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"अनुज बृजेश , प्रेम - बिछोह के दर्द  केंदित बढ़िया गीत रचना हुई है , हार्दिक बधाई आदरणीय…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई  ग़ज़ल पर उपस्थिति  हो  उत्साह वर्धन  करने के लिए आपका…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश ,  ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभार , मेरी कोशिश हिन्दी शब्दों की उपयोग करने की…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय अजय भाई ,  ग़ज़ल पर उपस्थिति हो  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई ग़ज़ल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिए आपका आभार "
12 hours ago
Ravi Shukla commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों को केंद्र में रख कर कही गई  इस उम्दा गजल के लिए बहुत-बहुत…"
yesterday
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी, अच्छी  ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें. अपनी टिप्पणी से…"
yesterday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाई जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छी प्रयास है । आप को पुनः सृजन रत देखकर खुशी हो रही…"
yesterday
Ravi Shukla commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय बृजेश जी प्रेम में आँसू और जदाई के परिणाम पर सुंदर ताना बाना बुना है आपने ।  कहीं नजर…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
Thursday
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service