1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
Kamal purohit's Comments
Comment Wall (2 comments)
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online
I need to have a word privately, please get back to me on ( mrs.ericaw1@gmail.com) Thanks.
ख़ुश रहो ।
Welcome to
Open Books Online
Sign Up
or Sign In
कृपया ध्यान दे...
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
6-Download OBO Android App Here
हिन्दी टाइप
देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...
साधन - 1
साधन - 2
Latest Blogs
दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
मार्गशीर्ष (दोहा अष्टक)
ममता का मर्म
लघुकविता
दोहा पंचक. . . . कागज
कुंडलिया ....
दोहा सप्तक. . . विरह
दोहे-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
दोहा सप्तक. . . विविध
सावन
दोहा पंचक. . . . .शीत
दोहा पंचक. . . . .मतभेद
तिश्नगी हर नगर की बुझा --लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
रोला छंद. . . .
रोला छंद. . . .
तुझे पाना ही बस मेरी चाह नहीं
दोहा पंचक. . . . विविध
कुंडलिया छंद
एक ही सत्य है, "मैं"
Latest Activity
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174