For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अहसास की ग़ज़ल::; मनोज अहसास

2122    2122     2122     212

है तेरे दम से ही रौशन मेरे जीवन की बहार।
तू नहीं तो ज़िन्दगी में मिल नहीं सकता करार।

पास तेरे रहने का हासिल नहीं है वक़्त पर ,
मेरी साँसों में बसा है तेरी साँसों का खुमार।

ज़िन्दगी की उलझनों से तंग आ जाता हूँ जब,
याद आ जाता है मुझको तब तेरी बाहों का हार।

हर घड़ी तेरी कमी महसूस होती है यहाँ,
ये पराया शहर मुझको तोड़ता है बार बार।

फासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था,
है सफर इक रात का बस पर लगे सागर के पार

ज़िन्दगी का कर्ज़ सारा कर नहीं पाया अदा,
इसलिए लिक्खा गया है ज़िन्दगी में इंतज़ार।

नाम पर लिक्खी है तेरे आज ये पहली ग़ज़ल,
प्यार तुम पर आ रहा है आज मुझको बेशुमार।

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 313

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 17, 2022 at 8:21am

आ. भाई मनोज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। भाई समर जी का सुझाव उत्तम है । मिसरे और निखर गये है। शेष इंगितों में भी बदलाव का प्रयास करें। सादर...

Comment by मनोज अहसास on May 16, 2022 at 8:12pm

आदरणीय समर कबीर साहब सादर प्रणाम आपकी बहुमूल्य इस्लाह से ग़ज़ल लाभान्वित हुई है आप सदैव यूं ही आशीर्वाद बनाए रखें आपका बहुत-बहुत आभार

सादर

Comment by Samar kabeer on May 14, 2022 at 4:31pm

जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें I 

'पास तेरे रहने का हासिल नहीं है वक़्त पर'

इस मिसरे को उचित लगे तो यूँ कहें :-

'वक़्त तेरे पास रहने का नहीं हासिल मगर '

'याद आ जाता है मुझको तब तेरी बाहों का हार'-- इस मिसरे में  बाहों  को 'बाँहों ' कर लें I 

'हर घड़ी तेरी कमी महसूस होती है यहाँ,
ये पराया शहर मुझको तोड़ता है बार बार'

इस शे`र को उचित लगे तो यूँ कहें :-

'हर घड़ी तेरी कमी महसूस होती है मुझे 
जब  पराया शह्र मुझको तोड़ता है बार बार'

'फासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था
है सफर इक रात का बस पर लगे सागर के पार'--इस शे`र के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है ' देखिये I 

'ज़िन्दगी का कर्ज़ सारा कर नहीं पाया अदा,
इसलिए लिक्खा गया है ज़िन्दगी में इंतज़ार'-- इस शे`र के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है , देखिएगा I 

'नाम पर लिक्खी है तेरे आज ये पहली ग़ज़ल,
प्यार तुम पर आ रहा है आज मुझको बेशुमार।'---इस शे`र में शुतर गुरबा दोष है, आप इतने समय से ग़ज़ल कह रहे हैं इस ऐब को नहीं  होना चाहिए आपकी ग़ज़ल में I 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
10 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
40 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
41 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक…"
46 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब।  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार…"
52 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service