For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो मेरा करीबी था, मैं मगर फरेबी था

इश्क़ वो वफा ओं वाली चाह बन के रह गयी

जो भी सितम हुए, सब मैंने ही सनम किए

टोकरी दुआओं वाली, आह बनके रह गयी

था मेरा गुरूर उसको, मेरा था शुरूर उसको

साथ जब मैंने छोड़ा, आंखे नम रह गयी

सपनों का था एक क़िला, मिलने का वो सिलसिला

तोड़ा उसके दिल को मैंने, पल मे सारी ढह गयी

वादे उसकी सच्ची थी, मेरी डोर कच्ची थी

फर्जी मेरी वायदे मे फंस के जैसे रह गयी

बेरहम सा प्यार मेरा, मोम जैसा दिल था उसका

मेरी खुदगर्जि के आगे, अफसोस करके रह गयी

था बड़ा सुकून उसको, मेरा था यकिन उसको

चालबाज़ियों को मेरी, हंस के सारी सह गयी

उसकी खातिर दो जहाँ था, मैं ही उसका आसमा था

देख कर ठगी को मेरे, बस सिसक के रह गयी

इश्क़ उसकी साधना थी, मेरे मन मे वासना थी

देख के ये रूप मेरा, वो ठिठक के रह गयी

वो थी उसकी आरज़ू थी, बस मेरी ही जुस्तजू थी

राह ये गलत थी लेकिन, साथ मेरे चल गयी

उसके दिल की ये लगी थी, मेरी तो बस दिल्लगी थी

दिल्लगी मे जाने क्यों वो, दिल को लगा के रह गयी

"मौलिक व अप्रकाशित"

अमन सिन्हा 

Views: 241

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AMAN SINHA on April 7, 2022 at 1:55pm

आदरणीय Dr.Prachi Singh जी, 

तारिफ़ करने के लिये अथाह धन्यवाद। मुझे ना तो ग़ज़ल की समझ है और नाहीं शेर, दोहा या अन्य किसी भी प्रकार के लेखन कला की। 

सत्य तो यह है की जब कलम हाथ में होती है उस क्षण जो भी शब्द मन में उभरते है बस उसीसे कागज़ काला करता रहता हूँ। आपको पसंद आयी उसके लिये शुक्रिया। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 6, 2022 at 1:11pm

पारस्परिक प्रेम में स्वयं की विवेचना अपनी अन्तर्दशा के अस्वीकार्य व्यव्हार के प्रति इस प्रकार की स्वीकारोक्ति कम ही मिलती है 

विषय वस्तु  की सत्यता नें प्रभावित किया ... इस अभिव्यक्ति को ग़ज़ल में कहने का प्रयास कीजिये बहुत सुन्दर बन पड़ेगी 

स्वस्ति कामनाएं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"याद रख रेत के दरिया को रवानी लिखनाभूलता खूब है अधरों को तू पानी लिखना।१।*छीन लेता है …"
8 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, आप अपने विचार सुझाव व शिकायत के अंतर्गत रख सकते हैं। सुझाव व शिकायत हेतु पृथक…"
18 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आपको।"
39 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय रिचा यादव जी, तरही मिसरे पर अच्छा प्रयास है। बधाई स्वीकार करें।"
43 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, तरही मिसरे पर अति सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें।"
47 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"ग़ज़ल - 2122 1122 1122 22 काम मुश्किल है जवानी की कहानी लिखनाइस बुढ़ापे में मुलाकात सुहानी लिखना-पी…"
54 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इतना काफ़ी भी नहीं सिर्फ़ कहानी लिखना तुम तो किरदार सभी के भी म'आनी लिखना लिख रहे जो हो तो हर…"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"२१२२ ११२२ ११२२ २२ बे-म'आनी को कुशलता से म'आनी लिखना तुमको आता है कहानी से कहानी…"
3 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मैं इस मंच पर मौजूद सभी गुनीजनों से गुज़ारिश करता हूँ कि ग़ज़ल के उस्ताद आदरणीय समर गुरु जी को सह…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"2122 1122 1122 22 इतनी मुश्किल भी नहीं सच्ची कहानी लिखनाएक राजा की मुहब्बत में है रानी लिखना…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"भूलता ही नहीं वो मेरी कहानी लिखना।  मेरे हिस्से में कोई पीर पुरानी लिखना। वो तो गाथा भी लिखें…"
12 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service