For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमें पाकर भी उन्हें क्या मिलेगा

पल भर की खुशी फिर रोज़ हीं जलेगा

चाहे कहे या ना कहे वो होठों से मगर

ये सिलसिला तो अब रोज़ हीं चलेगा

 

नही पता उसने ऐसा क्यों किया

हमें जानकर भी अपना दिल क्यों दिया

ज़ख़्म उसे सुकून देते हैं शायद

तभी उसने दर्द से अपना दामन भर लिया

 

मेरी लाख लानतों के बाद भी

क्यों वो हर रोज़ चला आता है

लगता है उसे मेरे शौक पसंद है

तभी हर रोज़ मज़ा देने आता है

 

कोई इतना ग़म कैसे ढो सकता है

बंज़र दिल मे प्यार के बीज बो सकता है

बस एक हमारे सुकून की खातिर

हर बार वो हमसे रुसवा हो सकता है

"मौलिक व अप्रकाशित" 

अमन सिन्हा

 

Views: 486

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AMAN SINHA on September 7, 2021 at 9:42am

@योगराज प्रभाकर,

श्रीमान, मेरी गलतियोंं से मुझे अवगत करवाने के लिये अपका आभार। 

मैं आगे से ज्यादा ध्यान लगाकर लिखने की कोशिश करुंगा।

 

Comment by AMAN SINHA on September 7, 2021 at 9:40am

@समर कबीर साहब, 

सबसे पहले तो मैं आप से क्षमा चाहुंगा क्युंकि शायद मैने अपने पहले टिप्पणी मे आपका नाम गलत लिख दिया था। 

बाकी हौसला बढाने के लिये अपाका दिल से धन्यवाद। 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 6, 2021 at 2:42pm

भाई मनोज कुमार अहसास जी. इन शब्दों को हिज्जे ग़लत थे, इसलिए लेखक को बताने के उद्देश्य से मैंने इन्हें बोल्ड कर दिया.  

Comment by Samar kabeer on September 6, 2021 at 6:34am

जनाब अमन सिंहा जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by AMAN SINHA on September 4, 2021 at 12:08pm

@Manoj Kumar Ahsaas महोदय टिप्पणी के लिये धन्यवाद। मैं आपको ये बाताना चाहुंगा की मैं काव्य लिखने के विषय मे आपके तरह अनुभवी नही हूँ। सच कहूंं तो मैं किसी भी विधा से अवगत नही हूँ। मगर मैं इतना जरूर बता सकता हूँ की ये हाईलाइटेड शब्दों मेंं मेरा कोई हाथ नही है । ये एक प्रोग्राम से दुसरे प्रोग्राम मे कापी करते समय हुई तकनिकी गडबडी जान पडती है। मैं आगे से इस बात का ध्यान रखुंगा। आपके सुझाव और प्रतिक्रिया का सदैव स्वागत रहेगा।

धन्यवाद 

अमन सिन्हा     

Comment by मनोज अहसास on September 2, 2021 at 11:56pm

प्रस्तुति के लिए हार्दिक स्वागत आदरणीय कृपया यह बताने का कष्ट करें यह कौन सी विधा है आपने किस विधा में रचना की है तथा यह जो आपने हाईलाइट किए हैं शब्द इसका क्या कारण है सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
16 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service