For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-69 विषय: "किसान"

आदरणीय साथियो,
सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-69 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-69
विषय: "किसान"
अवधि : 30-12-2020 से 31-11-2020
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फ़ॉन्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है।
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाए रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पाएँ इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद ग़ायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आसपास ही मँडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया क़तई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ-साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा ग़लत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताए हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिसपर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फ़ोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें।
.
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 2100

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी।बहुत बढ़िया लघुकथा।

आदाब। बहुत-बहुत शुक्रिया। नववर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आदरणीय तेजवीर सिंह जी।

आदाब। रचना पर समय देकर उसके मर्म पर टिप्पणी कर मुझे प्रोत्साहित करने हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया। नववर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आदरणीय

 लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी

'पंच परमेश्वर'

"यह क्या है बबलू.. यहाँ पर मंदिर बन रहा है..?" विक्की ने पूछा।
"हाँ! वक्त का न्याय है।" बबलू ने कहा।

"अगर आप घर में से अपना हिस्सा छोड़ दें तो हम खेत में से अपना हिस्सा छोड़ देंगे।" बबलू ने विक्की से कहा था।
लगभग अस्सी-इक्यासी साल पुराना मिट्टी का घर मिट्टी में मिल रहा था। दो भाइयों के सम्मिलात घर के आँगन में दीवाल उठे भी लगभग सत्तर-बहत्तर साल हो गए होंगे। तभी ज़मीन-ज़ायदाद भी बँटा होगा। ना जाने उस ज़माने में किस हिसाब से बँटवारा हुआ था कि बड़े भाई के हिस्से में दो बड़े-बड़े खेतों के बीच दस फीट की डगर सी भूमि छोटे भाई के हिस्से में आयी थी। जो अब चौथी पीढ़ी के युवाओं को चिढ़ाती सी लगने लगी थी। बबलू छोटे भाई का परपोता और विक्की बड़े भाई का परपोता थे..। बबलू गाँव में ही रहता था और विक्की महानगर में नौकरी करता था।

'ठीक है तुम्हें जैसा उचित लगे।' विक्की ने कहा था।

घर से मिली भूमि के बराबर खेत के पिछले हिस्से की भूमि बबलू ने विक्की को दिया। आगे से भूमि नहीं मिलने के कारण एक कसक थी विक्की के मन में , जो आज दूर हो गयी।

(मौलिक और अप्रकाशित)

आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीया विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया सकारात्मक रचना। हार्दिक बधाई। बेहतरी  हेतु अभी इस पर और काम किया जा सकता है मेरे विचार से। 

हार्दिक बधाई आदरणीय vibha rani shrivastava जी।बहुत बढ़िया लघुकथा।

गुटरगूँ - लघुकथा –

दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर किसान आंदोलन के चलते अनगिनत ट्रैक्टर ट्रॉलियों का जमावड़ा हो रखा था| उन्हीं में से एक ट्रैक्टर ट्रॉली की छत पर एक कबूतर का जोड़ा बैठा था | कबूतर कबूतरी को रिझाने के लिये बार बार गुटरगूँ की रट लगाए हुए था | उसकी इस हरक़त से तंग आ चुकी कबूतरी झल्ला पड़ी,”क्या परेशानी है तुझे? चुपचाप नहीं बैठा जाता।“

“तू इतना भाव क्यों खाती है? कितनी गुनगुनी धूप खिली है, आज तीन दिन बाद। थोड़ा पास आजा प्यार मोहब्बत की बात करते हैं।“

“शर्म नहीं आती तुझे।ये कोई प्यार मुहब्बत का वक्त है?”

“क्यों वक्त में क्या खराबी दिख रही है तुझे?”

“जिन किसानों की ट्रॉलियों पर तू उछल कूद मचा रहा है, जिनका दिया हुआ रोजाना राशन खा रहा है, उनके दुख दर्द का तुझे कुछ अंदाज़ा भी है ?”

“ये समस्या तो खुद इनकी मोल ली हुई है।“

“अच्छा, तुझे मज़ाक सूझ रही है। ये लोग पिछले एक महीने से इस ठिठुरती ठंड में खुले आसमान के नीचे पड़े हैं। सत्तर

अस्सी साल के बुजुर्ग, छोटे छोटे दूध पीते बच्चे और बूढ़ी औरतें इतनी सर्दी में कैसे तड़प रहे हैं | कुछ पता भी है? हर दिन एक ना एक मौत हो रही है।मुझसे तो इनका दुख देखा नहीं जाता। और यह सरकार इनकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है।“

“हम लोग पक्षी होकर इस सरकार की नीति और नीयत को पहचान गये लेकिन ये लोग इंसान होकर भी इस सरकार की मंशा छह साल में भी नहीं समझ सके।“

“कौनसी मंशा ?”

“यही कि यह पूंजीपतियों की सरकार है |आम आदमी के लिये इस सरकार के दरवाजे खटखटाना, दीवार से सिर फ़ोड़ने के समान है|”

 

मौलिक,अप्रकाशित एवम अप्रसारित।

सादर नमस्कार। विषयांतर्गत बिम्ब 'कबूतरों' के कथनोपकथन में बढ़िया विचारोत्तेजक रचना हेतु हार्दिक बधाई जनाब तेजवीर सिंह साहिब। गुटरगूँ ही तो हो पा रही है, बस।

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी।

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । अच्छी समसामयिक कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।

हार्दिक आभार आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
4 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Apr 10

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service