For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार एक सौ पन्द्रहवाँ आयोजन है.   

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

21 नवबर 2020 दिन शनिवार से 22 नवबर 2020 दिन रविवार तक
 
इस बार के छंद हैं - 

गीतिका छंद 

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं. 

गीतिका छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक ...

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

चित्र अंतर्जाल से 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 21 नवबर 2020 दिन शनिवार से 22 नवबर 2020 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 2509

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

जय हो !! 


छंद गीतिका


देख कर अपना बुढ़ापा, मैं स्वयं से कह रहा
उम्र का इक घर सुहाना, बन रहा कुछ ढह रहा।
ये कदम अब थम रहे हैं, कुछ नजर कम हो गई
कुछ मिला कुछ खो गया है, आँख कुछ नम हो गई।

एक बचपन देखता हूँ, ये बहुत नादान है
मन प्रफुल्लित है सदा ही, दर्द से अंजान है।
मैं सहारा चाहता हूँ , कुछ कदम चल फिर सकूँ
ये कदम अपना बढ़ा के, सीखता मैं भी चलूँ ।

याद आता है मुझे भी, बालपन जो जी गया
टूट जाता जब खिलोना,आसुओं को पी गया।
फिर मनाते लोग मुझको,एक पल में हँस लिया
दिन सभी हँसकर गुजारे, ज़िंदगी ने जो दिया।

ये नियम रब ने बनाया, छोड़ जाना ये जहाँ
आज बचपन कल जवानी, फिर बुढ़ापा है यहाँ ।
कर्म ऐसा हो सभी का, कल न पश्चाताप हो
पीढ़ियाँ पालन करेगी, मार्गदर्शक आप हो ।

ज़िंदगी के मायने हैं, बेसबब कुछ भी नहीं
अनवरत दिन रात होते, क्या थमी पृथ्वी कहीं
इसलिए जीवन मिला जो, नेकियाँ करते चलो।
जग नया पीढ़ी नई है, तुम सदा बढ़ते चलो।

****************************

मौलिक व अप्रकाशित

आ. भाई दिनेश जी, चित्रानुरूप उत्तम रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय

आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी सादर, प्रदत्त चित्र पर सुंदर गीतिका छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. यह अवश्य हुआ है कि अंतर्यति कुछ आगे सरक गई है. सादर.

बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय 

आदरणीय दिनेश जी, बहुत ही सुंदर दार्शनिक विचार, और वाकई चित्र से काव्य का सुसृजन हुआ है। प्रेरणादायक ।
बधाई स्वीकार करें।

बहुत बहुत आभार आपका।

जिन्दगी हरदम  सहारा  माँगती  है नित सुनो
फिर बुढ़ापा हो कि बचपन या जवानी ये गुनो
है समय अनुकूल तो फिर आप जिसको भी चुनो
धार के विपरीत  लेकिन  है  कठिन कुछ भी बुनो
**
कुछ  सहारा  बेबसी  में  कुछ  खुशी  से  चाहते
कुछ समझ की चाह में कुछ स्नेह हित में माँगते।।
कुछ  सहारे  से  रहित  हो  नम  नयन  से देखते
कुछ स्वयम् को नित्य सम्बल हूँ सभी का मानते।।
**
छाँव में पल एक अंकुर पेड़ बनकर जब बढ़े
ले सहारा तब  उसी  का  बेल भी ऊपर चढ़े।।
पेड़ पत्थर शूल तक सम्बल बने देखे खड़े
आदमी पर सोचता बनते सहारा बस बड़े।।
**
है मनुज वो धन्य जो सम्बल किसी का वन जिया
और के जीवन को जिसने विष खुशी से है पिया।।
चित्र ये  सन्देश  लगता  दे  रहा  है  कुछ नया
आज बचपन फिर बुढ़ापे का सहारा बन गया।।
*
मौलिक/अप्रकाशित

आदरणीय भाई लक्ष्मण  धामी जी सादर,  प्रदत्त चित्र पर सुंदर छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.

पेड़ पत्थर शूल तक सम्बल बने देखे खड़े
आदमी पर सोचता बनते सहारा बस बड़े।।......बहुत सुंदर और शिक्षाप्रद पंक्तियाँ रची हैं आपने. सादर

आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन । रचना पर उपस्थिति व प्रशंसा के लिए आभार..

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सुंदर, शिक्षाप्रद रचना के लिए बधाई।
चित्र को क्या खूब शब्दो मे पिरोया है, और अंतिम पंक्ति तो चित्र का शीर्षक ही मालूम पड़ती है।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुण्डलिया * पानी-पानी  हो  गया, जब आयी बरसात। सूरज बादल में छिपा, दिवस हुआ है रात।। दिवस…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"रिमझिम-रिमझिम बारिशें, मधुर हुई सौगात।  टप - टप  बूंदें  आ  गिरी,  बादलों…"
12 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हम सपरिवार बिलासपुर जा रहे है रविवार रात्रि में लौटने की संभावना है।   "
19 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद +++++++++ आओ देखो मेघ को, जिसका ओर न छोर। स्वागत में बरसात के, जलचर करते शोर॥ जलचर…"
19 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद *********** हरियाली का ताज धर, कर सोलह सिंगार। यौवन की दहलीज को, करती वर्षा पार। करती…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service