For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"माई के तुलना ना हो सकेला"

माई हिमालय से भी ऊंचा हो ले

लेकिन

पत्थर लेखा कठोर ना

माई सागर से भी गहरा हो ले

लेकिन

सागर जइसन खारा ना

भगवान के भी जन्म देवे ले माई

लेकिन

भगवान लेखा दुर्लभ ना

माइ हवा से भी जादे गतिशील हो ले

लेकीन

अदृश्य बिल्कुल ना

देखत रहेले हरदम माई

हमनी के बीमार भइला पर

गुमसुम बैठ के सिरहाना

माथ पर हाथ फेरत.....

लम्बी उम्र के कामना करत ....

शाश्वत सत्य बा...की

माई के तुलना ना हो सकेला

काहे कि

केहू नईखे

माई के जईसन

केकरा से करी हम तुलना माई के............

माई...

माई ...हो ले!

बस माई ....

माई के तुलना ना हो सकेला।।

Views: 464

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on September 6, 2010 at 6:45pm
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती

बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती
मुनव्वर|
Comment by Raju on March 31, 2010 at 2:10pm
Aap sab logo ko dhanywaad
Comment by Rash Bihari Ravi on March 31, 2010 at 2:06pm
mast sada bahar
Comment by Mahesh Jee on March 30, 2010 at 9:29pm
राजू भाई राउर इ रचना तऽ बहुते सुन्दर बा जी करता कि बार -बार पढंत रहीँ। आप के धन्यवाद बा जे हमनी के एतना सुन्दर रचना पढेँ के मिलल।
Comment by BIJAY PATHAK on March 30, 2010 at 3:41pm
bah re babu pura emotional kai dela .
Bahut khub

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 29, 2010 at 8:59pm
हमनी के बीमार भइला पर

गुमसुम बैठ के सिरहाना

माथ पर हाथ फेरत.....

लम्बी उम्र के कामना करत ....

ई त शाश्वत सत्य बा...की

माई के तुलना ना हो सकेला

राजू भाई रौवा बिलकुल सही लिखले बानी, माई के तुलना कबो ना हो सकेला, माई त माई होली उनकर स्थान त देवी माँ भी ना ले सकेली, रौवा बहुत बढ़िया रचना प्रस्तुत कैले बानी,बहुत बहुत धन्यवाद,
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on March 29, 2010 at 7:57pm
bahut badhiya raju bhai...ek aur shaandaar rachna khatir dhanyabaad....
माई हिमालय से भी ऊंचा हो ले
लेकिन
पत्थर लेखा कठोर ना
माई सागर से भी गहरा हो ले
लेकिन
सागर जइसन खारा ना
भगवान के भी जन्म देवे ले माई
लेकिन
भगवान लेखा दुर्लभ ना
ee line humra bahut badhiay lagal.....
dhanyabaad ehja post kaila khatir....
aage bhi raur aisan rachna ke intezaar rahi....
bahut badhiay likh rahal bani raju jee..aisahi likhat rahi

raure aapan
PREETAM TIWARY

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service