For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सम्मान हो इनाम(lलघुकथा)

मिन्दो बस्ती की अकेली लडकी, जिस ने सिलाई कड़ाई के काम में सिखलाई प्राप्त कर घर में काम शुरू किया, मगर उतना काम न मिलता कि गुजरा हो सके, तभी उसने रविन्द्र की फैक्टरी में काम पर रखने के लिए विनती की, तो रविन्द्र ने उस से कुछ बातें की और उसे सिलाई के काम पर रख लिया I बाप तो बचपन में ही उन्हें छोड़ कर कहीं चला गया था I शुरू में तो उसे उनके मुताबिक काम करने व् समझने में समस्या आई, मगर जल्दी ही उसने खुद को बाकी लोगों के साथ अडजस्ट कर लिया और धीरे धीरे उसकी काम में दिलचस्पी बढने लगी तो उस ने अब उस की सिलाई में सफाई व् सुधार होने लगा I हर महीने बेहतरीन काम करने वाले कारीगर को इनाम दिया देने के लिए इस बार उस का नाम नोटिस में लगा I आज मिन्दो खुद पर गर्व महसूस कर रही थी I जब इनाम के लिए स्टेज पर बुला कर उसे इनाम दिया गया तो उस के मन में आया कि वह कुछ बोले,पर अब तक वो अपने स्थान पे जा कर बैठ चुकी थी, वह सोच ही रही थी रविन्द्र ने कहा , मिन्दों अब आप से कुछ बात भी करेगी I मिन्दो को उठती देख एक बजुर्ग पहले ही माईक पर पहुँच गया I मुझे अब समझ आ रहा है, मिन्दों अकेली नहीं, अब तोसमय की हवा भी इस के साथ हो चली है, हम कैसे ..... I “अब यह मिन्दों जैसे लोग हमारे लिए नहीं अपने लिए भी काम करेगें I उसने आगे बोलना जारी रखते हुए कहा ,मिन्दों के काम को सम्मान देना ही उस के लिए सब से बढ़ा इनाम है I भाईयो और बहनों,अगर किसी को मौका मिले तभी पता चलता है” कोई क्या कर सकता है , बजुर्ग स्टेज नीचेआ मिन्दों के सर को पलोसने लगा I

Views: 510

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 27, 2016 at 11:29pm

 इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई 

Comment by pratibha pande on January 26, 2016 at 12:19pm

सुन्दर कथा ,अलग ही अंदाज़ में ,बधाई  आपको आदरणीय मोहन बेगोवाल जी 

Comment by TEJ VEER SINGH on January 25, 2016 at 6:08pm

हार्दिक बधाई आदरणीय मोहन बेगोवाल जी!!बेहतरीन प्रस्तुति!

Comment by Samar kabeer on January 25, 2016 at 5:39pm
जनाब मोहन बेगोवाल जी आदाब,इस शानदार लघुकथा के लिये बधाई स्वीकार करें !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
11 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service