For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

याद आते हैं
अक्सर
पुराने जमाने ,
बैलों की गाड़ी
वो भूजे के दाने ,
दादी माँ की कहानी
उन्हीं की जुबानी,
भूले से भी न भूले  
वो पुरवट का पानी |
अक्सर ही बागों में
घंटों टहलना
पके आमों पे
मुन्नी का मचलना
गुलेलों की बाज़ी
गोलियों का वो खेला
सुबह शाम जमघट पे
लगे मानो मेला
वो मुर्गे की बांग पे
भैया का उठना
रट्टा लगाके
दो दूना पढ़ना
कपडे के झूले पे
करेजऊ का झुलना
छोटी-छोटी बातों पे
बुधिया का फुलना 
लगती है सुहानी
वो सपनों सी दुनिया
यादों में बसी
जादू की पुडिया |
कहां खो गये वो
जो दिन थे सुहाने
यादों में सताते
फिर फिर के आते
पर टिकते न लेकिन
कहीं खो वो जाते
वो सुंदर नजारे
वो पल पल की खुशियाँ |

( मौलिक अप्रकाशित )

Views: 527

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Chhaya Shukla on May 2, 2015 at 10:25pm

आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी
अतिशय आभार कृपया स्नेह बनाये रखें सादर नमन !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 30, 2015 at 1:23pm

अतीत की मोहक याद से सजी  सुन्दर रचना .

Comment by Chhaya Shukla on April 29, 2015 at 2:52pm

मनोबल बढाती प्रतिक्रिया का हृदय से स्वागत है आ. ganesh jee "bagi" जी सादर नमन !

Comment by Chhaya Shukla on April 29, 2015 at 2:51pm

आ. मिथिलेश वामनकर जी आपकी उपस्थिति से रचना धर्मिता को बल मिला सादर नमन !

Comment by Chhaya Shukla on April 29, 2015 at 2:50pm

बहुत - बहुत शुक्रिया shyam narain verma आपकी आपकी सराहना से सृजन को बल मिला |
सादर नमन !


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 28, 2015 at 10:57pm

बचपन की सैर करा दी आपकी कविता आदरणीया छाया शुक्ला जी. बधाई स्वीकार करें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 28, 2015 at 9:32pm

यादों के सुहावने सफ़र के लिए हार्दिक आभार आदरणीया छाया जी 

Comment by Shyam Narain Verma on April 28, 2015 at 10:44am
बहुत  ही सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति .. बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
" आ. महेन्द्र कुमार जी, 1." हमदर्द सारे झूठे यहाँ धोखे बाज हैं"  आप सही कह रहे…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय,  दयावान जी मेधानी, कृपया ध्यान दें कि 1. " ये ज़िन्दगी फ़ज़ूल,  वाक्यांश है,…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"कोई बात नहीं आदरणीय विकास जी। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। वह ज़्यादा ज़रूरी है। "
1 hour ago
Vikas replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हार्दिक आभार आपका महेंद्र कुमार जी। हाल ही में आंख का ऑपरेशन हुआ है। अभी स्क्रीन पर ज़ियादा समय नहीं…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"अब बेहतर है। बस जगमगाती को जगमगाते कर लें। "
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय mahendra kumar जी सादर अभिवादन बहुत धन्यवाद आपका आपने वक़्त निकाला ग़ज़ल तक आए उसे सराहा बहुत…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई महेंद्र जी, सादर अभिवादन। गजल पर आपकी उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार। आपके सुझाव उत्तम हैं।…"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"दिल से आभारी हूँ आदरणीय दयाराम जी. बहुत शुक्रिया. "
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय गजेन्द्र जी. आभारी हूँ. यदि थोड़ा स्पष्ट सुझाव मिल जाता तो बड़ी कृपया होती.…"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. दिल से आभारी हूँ."
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीया मंजीत कौर जी. आभारी हूँ."
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय दयाराम जी, सादर अभिवादन! अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. एक जिज्ञासा है, क्या…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service