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एक विचार---
तुम महामंत्र पावन सुधा सी,मैं गरल का महानिंदय प्याला
मरते प्राणों की संजीवनी तुम, रूप पल-पल तुम्हारा निराला ॥ [१]
माँ तेरे दिब्य दर्शन में मैने, चाँद तारों का दर्शन किया है,|
तेरे नयनों के काजल ने जग में,रात का रूप धारण किया है ||[२]
मैने हर रूप की चाँदनी में, तेरी करुणा की रातें गिनी है|
मैने हर राग की रागिनी को,शक्ति के गीत गाते सुनी है||[३]
------------k. उमा

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Comment by Pawan Kumar on September 30, 2014 at 11:22am

"अनुपम प्रस्तुति के लिए सादर बधाई .."

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 28, 2014 at 1:06pm

उमा जी

ऐसे ही भाव बिखेरती रहे i  सादर i

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