For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एका अपने देश का

 

भारत तेरा रूप सलोना, यहाँ-वहाँ सब माटी सोना |

 

कहीं पर्वत-घाटी, जंगल, कहीं झरना-झील, समुन्दर

कहीं गाँव-नगर, घर-आँगन, कहीं खेत-नदी, तट-बंजर

कश्मीर से कन्याकुमारी, कामरूप से कच्छ की खाड़ी

तूने जितने पाँव पसारे, एक नूर का बीज है बोना |

 

इस डाल मणिपुरी बोले, उस डाल मराठी डोले

इस पेड़ पे है लद्दाखी, उस पेड़ पे भिल्लीभिलोडी

कन्नड़-कोयल, असमी-तोता, उर्दू–बुलबुल, उड़िया-मैना

एक बाग के सब हैं पंछी, सब से चहके कोना-कोना |

 

तमिल खिली है सुन्दर-सी, खिली है मिजो सुघड़-सी

मलयालम कैसी भाती, निकोबारी रंग दिखाती

तेलुगू-गुलाब, गारो-गेंदा, कोंकणी-कमल, आ’ओ-चम्पा

रंग-सुगंध हैं अलग सभी के, सब की माला एक पिरोना |

 

नेपाली है बायाँ कंधा, दायाँ कंधा पंजाबी

बंगाली बाईं भुजा है, दाईं है भुजा गुजराती

कश्मीरी-आँख, डोगरी-नाक, सिंधी-होठ, हिन्दी-ज़बान

अंग-अंग के रूप अलग हैं, सब में एक ही प्राण सँजोना |

 

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

--- संतलाल करुण 

Views: 975

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Santlal Karun on July 25, 2014 at 3:21pm

आदरणीया वेदिका  जी,

 मैंने आप और आ. सौरभ पाण्डेय जी की प्रतिक्रियाओं पर विचार करके इस गीत में कुछ संशोधन किया है | ...प्रशंसात्मक उद्गार और सुझाव के लिए हार्दिक आभार !

Comment by Santlal Karun on July 25, 2014 at 3:12pm

आदरणीय लड़ीवाला जी,

गीत पर प्रेरणात्मक प्रतिक्रिया के हृदयपूर्वक आभार !

Comment by Santlal Karun on July 25, 2014 at 3:09pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, 

मैंने आप की प्रतिक्रिया पर विचार करते हुए इस गीत में कुछ संधोधन कर दिया है, किन्तु अधिक अब संभव नहीं है | इस गीत में यदि मात्र भावों की बात होती, तो मात्रिकता शतप्रतिशत व्यवस्थित की जा सकती थी, किन्तु यहाँ विभिन्न भाषाओं, उनके लिए उपयुक्त विशेषणों, भूभाग की पारिस्थितिक अनुरूपता आदि कई तथ्यों के तालमेल के साथ शब्दों का संयोजन लेकर चलना पड़ा है | एक और विवशता यह भी कि यह गीत अपना कायिक स्वरूप पूरी तरह ग्रहण कर चुका है | ... सुझाव के लिए सहृदय आभार !

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 24, 2014 at 9:40am

राष्टीय भावना मन में संजोये रची सुन्दर रचना के लिए बधाई श्री संतलाल करूँ जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 23, 2014 at 5:55pm

//जहाँ तक इस गीत की गेयता का प्रश्न है, मैंने गीत की माँग के अनुसार प्रयास किया है और मुझे नहीं लगता कि इसमें गेयता कहीं बाधित है //

आदरणीय संतलालजी, पदों में मात्रिकता (इसे ही हमने गेयता हा है) के लिए जिन विन्दुओं को साधने की आवश्यकता होती है, उन विन्दुओं के सापेक्ष बात की जाय तो अधिक उचित होगा. इस मंच पर, आदरणीय, ’सीखने-सिखाने’ के उद्येश्य से ही चर्चा होती है.

रचना प्रस्तुति के लिए पुनः सादर धन्यवाद

Comment by वेदिका on July 23, 2014 at 4:17pm
देश प्रेम से ओत प्रोत देशभक्ति जगाती रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय संत जी!
मेरे विचार में रचना के कुछ पद गदय का स्वरूप ले रहे हैं।
सादर!!
Comment by Santlal Karun on July 23, 2014 at 3:41pm

आदरणीय भंडारी जी, 

गीत पर श्लाघात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार !

Comment by Santlal Karun on July 23, 2014 at 3:39pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी,

गीत की सराहना के लिए सहृदय आभार ! जहाँ तक इस गीत की गेयता का प्रश्न है, मैंने गीत की माँग के अनुसार प्रयास किया है और मुझे नहीं लगता कि इसमें गेयता कहीं बाधित है |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 22, 2014 at 8:46pm

आदरणीय संत लाल भाई , देश प्रेम से सजी सँवरी आपकी सुन्दर रचना के लिये आपको बधाइयाँ ॥


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 22, 2014 at 2:55pm

कथ्य के विन्दु समवेती और राष्ट्र भावना से आप्लावित हैं आदरणीय ..

हार्दिक बधाई.

वैसे ऐसी रचनाओं में शब्दों का संयोजन ऐसा हो ताकि गेयता सध सके. तो कविता को दुहराना सरल होता है.

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
18 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
yesterday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service