For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरा ब्लड ग्रुप?... याद नहीं है! (लघुकथा)

एक अस्पताल में भर्ती बुजुर्ग की आप बीती---उनके ही मुख से-

"मेरे दो लडके हैं, दोनों एक्सपोर्ट इम्पोर्ट का कारोबार करते हैं.

दो लड़कियां विदेश में हैं, दामाद वहीं सेटल हो गए हैं.

मेरा एक भगीना बड़े अस्पताल में डॉक्टर है ...मुझे उसका टेलीफोन नंबर नहीं मिल रहा ..आप पताकर बताएँगे क्या?

आज मेरे घाव का ओपेरेसन होनेवाला है. मेरा लड़का आयेगा ...ओपेरेसन के कागजात पर हस्ताक्षर करने."

लड़का आया भी और हस्ताक्षर कर चुपचाप चला गया. मैंने महसूस किया दोनों में कोई विशेष बात चीत नहीं हुई .. सामान्य शिष्टाचार भी नहीं....

ये मेरा बड़ा लड़का था - एक्सपोर्ट-इमपोर्ट कंपनी में चीफ कमर्शियल एग्जीक्यूटिव है ...उन्होंने दुहराया, इसलिए कि शायद मैंने सुना नहीं.

बुजुर्ग व्यक्ति मेरे द्वारा खरीदे गए अखबार के हरेक पन्ने की हरेक पंक्तियों को बड़े गौर से पढ़ते हैं. शुबह से रात ग्यारह बजे तक या तो मोबाइल पर बात करते रहते हैं, या पेपर में सिर घुन्साये रहते हैं. 

तीन चार दिनों के अन्दर कोई उनसे मिलने नहीं आया - वे कहते हैं - "मैं ही सबको मना कर रखता हूँ  -- क्या करेगा यहाँ आकर ...अपना वक्त खराब करेगा. सभी अपने अपने काम में ब्यस्त हैं!"

ओपेरेसन में ले जाने से पहले नर्स ने पूछा- "बाबा आपका ब्लड ग्रुप क्या है?"

"ब्लड ग्रुप ?... ठीक याद तो नहीं ... कितना चीज याद रक्खेगा ..."

(मौलिक व अप्रकाशित) 

जवाहर लाल सिंह 

Views: 808

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by deepti arora on June 7, 2016 at 11:03pm
आजकल बुजुर्गों की व्यथा ....घर घर की कहानी
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 19, 2014 at 3:55pm

आदरणीय श्री सौरभ पाण्डेय साहब, सादर अभिवादन!

आपने आशीर्वाद दिया आपका आभार ..मैंने जो लिखा है वह आँखों के सामने गुज़री है बस मैंने इसे सार्वजनिक करना चाहा ..आखिर हम कहाँ जा रहे हैं.  ..सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 18, 2014 at 1:26am

भाई जवाहरजी, आपकी लघुकथा ने नम कर दिया..
ये बुज़ुर्ग़ अपने परिचितों, आपसी सम्बन्धों को कितना बचा कर रखना चाहते हैं. उन्हें मालूम ही नहीं कि आजकी पीढ़ी फटीचर हो चुकी है, उसे किसी चीज की परवाह नहीं.. .सम्बन्ध निभाना और उसे सम्भालना तक नहीं आता..


बधाई आपको इस मार्मिक लघुकथा के लिए

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 17, 2014 at 9:26pm

समर्थन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय भ्रमर जी,

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 8, 2014 at 8:10pm

पारिवारिक स्नेह घटा जा रहा है विघटन हो रहा दूरियां बढ़ी जा रहीं प्यारी लघु कथा बड़ी बात दर्शा गयी
आभार
भ्रमर ५

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 8, 2014 at 6:10pm

आदरणीया कुंती मुखर्जी जी, सादर अभिवादन! आपने कथा के मर्म को समझा और अपनी सार्थक प्रतिक्रिया दी ..यह सोचने वाली बात है ... हम सब इसी समाज का हिस्सा हैं. चिंतन-मनन की गंभीर आवश्यकता है. उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 8, 2014 at 6:05pm

आदरणीय विजय निकोरे साहब, सादर अभिवादन! उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 8, 2014 at 6:04pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, सादर अभिवादन! उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 8, 2014 at 6:01pm

आदरणीया मीना पाठक जी, सादर अभिवादन! उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार! ...मेरा उद्देश्य यही था कि समाज की वास्तविकता आज क्या रह गयी है. उस सुपुत्र का शिष्टाचार वश भी कुछ देर न रुकना इलाज करने वाले डॉ. से कोई बात न करना मुझे बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा लेकिन बेचारे बुजुर्ग अपने बेटे के पद का बखान करते थक नहीं रहे थे...सादर!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 8, 2014 at 5:55pm

आदरणीया अन्नपूर्णा  बाजपेयी जी, सादर अभिवादन! उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

"मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२*****पसरने न दो इस खड़ी बेबसी कोसहज मार देगी हँसी जिन्दगी को।।*नया दौर जिसमें नया ही…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर

1222-1222-1222-1222जो आई शब, जरा सी देर को ही क्या गया सूरज।अंधेरे भी मुनादी कर रहें घबरा गया…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"जय हो.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या बात है, आदरणीय अशोक भाईजी, क्या बात है !!  मैं अभी समयाभाव के कारण इतना ही कह पा रहा हूँ.…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियों पर विद्वद्जनों ने अपनी बातें रखी हैं उनका संज्ञान लीजिएगा.…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया.  मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service