For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(1)
प्रिये !
अपने मन की व्यथा को
मैं आज किसे सुनाऊँ
इस संसार में
तुम्हारे अलावा इस मन की व्यथा को
दूसरा कौन समझ सकता है
अपमान गरल को
कंठ से लगाकर तुम मीरा तो बन गयी
पर मैं चाहकर भी अब तक
नहीं बन पाया हूँ श्याम
यही मेरे मन की व्यथा है प्रिये !
जिसे तुम्हारे अलावा
और कोई नहीं समझ सकता
इस संसार में
(2)
प्रिये !
तुम्हारा मौन
बहुत कुछ कह जाता है
और बहुत बतियाती है
तुम्हारी आँखे
तुम्हारी मधुर स्मृतियाँ
एकांत में भी
तुम्हारे अस्तित्व का
निरंतर बोध कराती हैं
तुमसे बहुत कुछ कहना चाहता है मेरा मन
यह जानते हुए कि
प्रेम तो शब्दो से परे है

मौलिक एवं अप्रकाशित
सत्यनारायण सिंह

Views: 604

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on January 4, 2014 at 8:06pm
आदरणीय सत्य नारायण जी! आह यह वेदना भी हृदय तल को स्पर्श करती है। सुन्दर अति सुन्दर। बधाई

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 3, 2014 at 2:44am

एक अत्यंत ही सार्थक कोशिश हुई है आदरणीय सत्यनारायणजी.

हार्दिक शुभकामनाएँ

Comment by MAHIMA SHREE on December 31, 2013 at 8:42pm

तुमसे बहुत कुछ कहना चाहता है मेरा मन
यह जानते हुए कि
प्रेम तो शब्दो से परे है.... बहुत सुंदर ..आदरणीय सत्यनारायण जी नव वर्ष की बधाई और शुभकमनाएं सादर

Comment by Satyanarayan Singh on December 31, 2013 at 4:38pm
आदरणीय विजय निकोर जी रचना पर मिले आपके अनुमोदन हेतु आपका सादर आभार तथा आपको नव वर्ष की मंगल कामनाएं
Comment by Satyanarayan Singh on December 31, 2013 at 4:29pm
नव वर्ष की मंगल कामनाओं सहित आपका सादर आभार आदरेया डॉ, प्राची जी
Comment by Satyanarayan Singh on December 31, 2013 at 4:27pm
नव वर्ष की मंगल कामनाओं सहित आपका सादर आभार आदरेया कुंती जी
Comment by Satyanarayan Singh on December 31, 2013 at 4:26pm
नव वर्ष की मंगल कामनाओं सहित आपका सादर आभार आदरणीय श्याम नारायण जी
Comment by Satyanarayan Singh on December 31, 2013 at 4:25pm
नव वर्ष की मंगल कामनाओं सहित आपका सादर आभार आदरणीय सुशिल सरना जी
Comment by Satyanarayan Singh on December 31, 2013 at 4:22pm
सादर आभार आ. जीतेन्द्र जी
आपको नव वर्ष की मंगल शुभ कामनाएं
Comment by Satyanarayan Singh on December 31, 2013 at 4:20pm
आ, गिरिराज भंडारी जी सादर,
कविता के भाव आपको अच्छे लगे एवं आपकी सराहना से मन अभिभूत है सादर धन्यवाद तथा आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service