For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये आदत अच्छी नही तुम्हारी

ये आदत अच्छी नही तुम्हारी
मेरा दिल जलाने की
तुम्हारा ही घर जलता है
आदत से बाज आ जाओ ....

न सुनते हो न समझते हो
बिना बात के मुझ पर बरसते हो
तुम्हारा ही चैन खोता है
आदत से बाज़ आ जाओ

यूँ आँखे क्यों दिखाते हो
यूँ मुझको क्यों  डराते हो
तुम्हारा ही रूप बदलता है
आदत से बाज़ आ जाओ

यूँ मुझसे नज़रे क्यों चुराते हो
मुझे इतना क्यों तडपते हो
तुम्हारा ही दिल तड़पता है
आदत से बाज़ आ जाओ .....!!!!!



मौलिक व अप्रकाशित रचना





Views: 747

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on June 8, 2013 at 2:53pm

बहुत बढ़िया विचार रखे है आपने //अंडरलाइन //टंकण अशुद्धि है देख ले //मुझे इतना क्यों तडपते हो////

Comment by बृजेश नीरज on June 7, 2013 at 2:32pm

अपनी बात को मात्रा साधते हुए यदि कहें तो गेयता आ जाएगी। जिसकी लिए यह कही गयी उस पर भी अच्छा असर होगा। शायद उसे आपकी बात समझ आ जाए।
सादर!

Comment by D P Mathur on June 7, 2013 at 1:15pm

नसीहतों से भरी रचना ,  सरल और सुन्दर !

Comment by aman kumar on June 7, 2013 at 10:55am

बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ......

Comment by Sonam Saini on June 7, 2013 at 9:57am

आदरणीय सौरभ पांडे जी नमस्कार
जी चलिए किसी ने तो सुना ही .......क्या पता उनके चक्कर में किसी और की ही आदत सुधर जाये ...हहह्हा
आपकी बात पर अवश्य अमल करूंगी ........अपना कीमती समय व सुझाव देने के लिए आभार व धन्यवाद सर जी ......

Comment by Sonam Saini on June 7, 2013 at 9:53am

आदरणीय जी लक्ष्मन प्रसाद जी  नमस्कार
.प्रतिक्रिया हेतु आभार व धन्यवाद।।।।।

Comment by Sonam Saini on June 7, 2013 at 9:51am

आदरणीय वीनस केसरी जी सादर नमस्कार
जी आदत कहाँ एक दिन में बदलती है ...नसीहत तो दे ही दी देखते हैं कि कोई असर होता है की नही .....प्रतिक्रिया हेतु
आभार व धन्यवाद

Comment by Sonam Saini on June 7, 2013 at 9:49am

आदरणीय महिमा जी नमस्कार
इतने दिनों से कहाँ गायब थे भई .....?????? मैं अच्छी हूँ आप कैसी हो ???
और किसकी बजाई ये न पूछिये बस बजा डाली ....हाहाहा   :) :) :)

Comment by Sonam Saini on June 7, 2013 at 9:46am

आदरणीय गीतिका जी नमस्कार
सर्वप्रथम तो शुभकामनाओ के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका .....आदत से बाज आजा ओ // के बजाये बाज आदत से आजा ओ भी उपयुक्त लग रहा है ..लेकिन अब तो इसे बदलना मुश्किल है ....अगली रचना में देखते हैं ......... :) :) बेहद शुक्रिया आपका ...आगे भी भूल सुधर करती रहे ...........धन्यवाद

Comment by Sonam Saini on June 7, 2013 at 9:42am

आदरणीय आबिद अली जी नमस्कार
रचना को पसंद  हेतु आभार व धन्यवाद ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
yesterday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
yesterday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service