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ग़ज़ल - उसे देखे ज़माना हो गया है

ग़ज़ल
उसे देखे ज़माना हो गया है ,
मेरा बच्चा सयाना हो गया है । 
.
मेरा दिल गाँव में बसता है बेशक ,
शहर में आब - ओ - दाना हो गया है । 
.
तेरी पायल की रुनझुन बज रही माँ ,
तेरा लोरी सुनाना हो गया है । 
.
अकेला सच का परचम ढो रहा हूँ ,
मुकाबिल ये ज़माना  हो गया है । 
.
फकीरों ने उसे दिल से दुआ दी ,
वो खुद अपना दीवाना हो गया है । 
.
बयानों में तुम्हारे ताजगी है ,
मगर किस्सा पुराना हो गया है । 
.
नमक रिश्तों में ज्यादा घुल गया था ,
तेरा जाना बहाना हो गया है । 
.
बहुत शीरीं हुआ लहजा तो जैसे ,
लता का एक गाना हो गया है । 
.
मैं उसकी याद में खोया हूँ जब भी ,
लगा मिलना मिलाना  हो गया है । 
.
ख़ुशी में माँ के आंसू मुझपे ढलके ,
मेरा गंगा नहाना हो गया है । .
.
मेरे घर में बुजुर्गों की है इज्ज़त ,
दुआओं का खजाना हो गया है । 
.
              - अभिनव अरुण 
                 [14052013]

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Comment by राज लाली बटाला on August 30, 2013 at 11:03am
khoob
Comment by Abhinav Arun on June 9, 2013 at 6:28pm

परम आभार आदरणीय अशोक रक्ताले जी !!

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 20, 2013 at 8:06am

वाह! एक एक शेर जैसे तराशा हुआ नगीना हो, बहुत सुन्दर गजल आदरणीय अभिनव अरुण जी. दिली मुबारकबाद कुबूल फरमाएं.

Comment by Abhinav Arun on May 17, 2013 at 3:36pm

श्री राज जी नमक वाला शेर पसंद आया आभारी हूँ बंधुवर !!

Comment by Abhinav Arun on May 17, 2013 at 3:35pm

मन आह्लादित हुआ आदरणीय श्री ! आपको प्रणाम करता हूँ !! आशीर्वाद मिलता रहे  प्रभु से यही कामना है !! जय बाबा विश्वनाथ !!

Comment by Abhinav Arun on May 17, 2013 at 3:33pm

श्री केवल जी शेर पसन्द आये कहना उपयोगी साबित हुआ आभारी हूँ । 

Comment by Abhinav Arun on May 17, 2013 at 3:33pm

आपकी दाद का शुक्रिया आदरणीय संदीप जी स्नेह बना रहे !!

Comment by Abhinav Arun on May 17, 2013 at 3:32pm

आदरणीय ब्रजेश जी बहुत शुक्रिया आपकी बधाइयों के लिए !!

Comment by बृजेश नीरज on May 16, 2013 at 11:35pm

बहुत ही सुन्दर! लाजवाब! ढेरों बधाई स्वीकारें।

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 16, 2013 at 3:14pm

क्या बात है सर जी इक इक शेर लाजवाब है
इस शानदार ग़ज़ल के लिए दिली दाद हाजिर हैं सादर
क़ुबूल फरमाइए

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