For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चांदनी आज फिर विदा होगी.........

एक ग़ज़ल प्रस्तुत कर रहा हूँ ...... गुरुजनों से अनुरोध है कृपया मार्गदर्शन किजिए 

चांदनी आज फिर विदा होगी
रोशनी आज फिर फना होंगी

जब कभी रंग रोशनी होंगे
आपके हाथ में हिना होगी

दर्द दे आज फिर हमें मौला
दर्द की आज इन्तहा होगी

हो गया एक नज़्म का सौदा
शायरी देख कर खफा होगी

चूम लों आँख, सोख लों पानी
पास में आपके दुआ होगी

~अमितेष 

Views: 576

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज लाली बटाला on December 22, 2012 at 12:17am

बहुत ही ख़ूबसूरत!! मुबारकबाद अमितेश जी.. 

हो गया एक नज़्म का सौदा
शायरी देख कर खफा होगी ~~ 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 21, 2012 at 3:24pm

हो गया एक नज़्म का सौदा
शायरी देख कर खफा होगी

आदरणीय अमी तेष जी, सादर 

सुन्दर. बधाई. 

Comment by Anwesha Anjushree on December 19, 2012 at 6:52pm

paas aapke dua hogi....sunder

Comment by अमि तेष on December 19, 2012 at 9:40am

विशेष पोस्ट में ग़ज़ल शामिल करने का शुक्रिया 

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on December 17, 2012 at 6:50pm

हो गया एक नज़्म का सौदा
शायरी देख कर ख़फ़ा होगी

बहुत ही ख़ूबसूरत शे'र... वाह.. मुबारकबाद अमितेश जी..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 17, 2012 at 10:56am

बढ़िया शेर निकले हैं सुन्दर प्रयास बहुत बहुत बधाई 

Comment by अमि तेष on December 17, 2012 at 10:21am

जानकारी और मार्गदर्शन के लिये  शुक्रिया वीनस भाई ....... ये आपके बिना नहीं हो पाता .......... 

Comment by वीनस केसरी on December 17, 2012 at 3:04am

अमितेष जी,

May 28, 2011
के बाद आज December 16, 2012 को यहाँ आपके द्वारा ग़ज़ल पोस्ट देख कर कर सुखद अनुभूति हुई

निश्चित ही इस लंबे अंतराल में आपने ग़ज़ल के सन्दर्भ में गहरा ज्ञान अर्जित किया है | यह संयम ही आपके अंदर के शायर के लिए एक बेशकीमती दौलत है जो दूसरों के लिए एक उदाहरण बन कर सामने आया है

भाव आपके पास सदैव से है सबसे खुशी की बात यह है कि आपने बहरो-वज्न को साध लिया है अब कहन को साधने के क्रम में नियमित ग़ज़ल पोस्ट करते रहे
देखें धीरे धीरे सब कुछ समरस हो जायेगा

सादर शुभेच्क्षु

Comment by अमि तेष on December 17, 2012 at 12:21am

एक छोटे से इस्लाह के बाद ......

चांदनी आज फिर विदा होगी

रोशनी आज फिर फना होंगी

जब कभी रंग रोशनी होंगे
आपके हाथ में हिना होगी

दर्द दे आज फिर हमें मौला
दर्द की आज इन्तहा होगी

हो गया एक नज़्म का सौदा
शायरी देख कर खफा होगी

चूम लों आँख, सोख लों पानी
पास में आपके दुआ होगी

~अमितेष

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
" आ. महेन्द्र कुमार जी, 1." हमदर्द सारे झूठे यहाँ धोखे बाज हैं"  आप सही कह रहे…"
7 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय,  दयावान जी मेधानी, कृपया ध्यान दें कि 1. " ये ज़िन्दगी फ़ज़ूल,  वाक्यांश है,…"
30 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"कोई बात नहीं आदरणीय विकास जी। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। वह ज़्यादा ज़रूरी है। "
35 minutes ago
Vikas replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हार्दिक आभार आपका महेंद्र कुमार जी। हाल ही में आंख का ऑपरेशन हुआ है। अभी स्क्रीन पर ज़ियादा समय नहीं…"
42 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"अब बेहतर है। बस जगमगाती को जगमगाते कर लें। "
42 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय mahendra kumar जी सादर अभिवादन बहुत धन्यवाद आपका आपने वक़्त निकाला ग़ज़ल तक आए उसे सराहा बहुत…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई महेंद्र जी, सादर अभिवादन। गजल पर आपकी उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार। आपके सुझाव उत्तम हैं।…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"दिल से आभारी हूँ आदरणीय दयाराम जी. बहुत शुक्रिया. "
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय गजेन्द्र जी. आभारी हूँ. यदि थोड़ा स्पष्ट सुझाव मिल जाता तो बड़ी कृपया होती.…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. दिल से आभारी हूँ."
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीया मंजीत कौर जी. आभारी हूँ."
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय दयाराम जी, सादर अभिवादन! अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. एक जिज्ञासा है, क्या…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service