For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी जिंदगी एक खुली किताब है

हर पन्ने पे तेरा नाम है ।

मैं रहूँ न रहूँ ,परवाह नहीं है

जिंदगी मेरी तुम्हारे नाम है ।

 

जब कभी ख्यालों की आँधी उठेगी

तन्हाई में मेरी आवाज़ गूँजेगी

परछाईं बनकर तुम्हारे पास रहूँगी

गेसूओं की छाँव से ढक लूँगी।

 

जीने के पैमाने यूँ तो बहुतेरे हैं

हर रंग पर फीके  हो चले हैं ।

जिन शोख रंगों में तुम्हारी तस्वीरें हैं

दिल के कैनवास  पर  बखूबी उकेरे हैं ।

 

सितारों की महफ़िल जब- जब सजेगी

 तुम्हारी निगाहें मुझको  ढ़ूँढ़ेगी।

चमने इश्क की खुशबू पहचानी सी होगी

चाँद को शिकस्त देती नूर मुझसे होगी ।

 

अपनी यादों का कारवाँ रोक लेना

बाँहों का दायरा ज़रा बढ़ा देना ।

तोड़ दीवार हया की ,आगोश में ले लेना

उस शामे बसहर को मेरे नाम कर देना ।

Views: 380

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Shashibhushan on March 21, 2012 at 9:13pm

आदरणीय कविता जी,
सादर !
"अपनी यादों का कारवाँ रोक लेना
बाँहों का दायरा ज़रा बढ़ा देना ।
तोड़ दीवार हया की ,आगोश में ले लेना
उस शामे बसहर को मेरे नाम कर देना ।"
खूबसूरत पंक्तियाँ !
दिलकश रचना ! बधाई !

Comment by kavita vikas on March 20, 2012 at 10:30pm
sabhar ,dhanywad......friends.
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 20, 2012 at 1:28pm

मेरी जिंदगी एक खुली किताब है

हर पन्ने पे तेरा नाम है ।

मैं रहूँ न रहूँ ,परवाह नहीं है

जिंदगी मेरी तुम्हारे नाम है 

bahut sundar bhav evam prastuti. badhai.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 20, 2012 at 1:26pm

सुन्दर भावों की प्रस्तुति| बधाई|

Comment by Harish Bhatt on March 20, 2012 at 10:56am

aadarniya kavita ji Namastey ..bahut hi sundar rachna......... hardik aabhar.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
yesterday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service