For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फिर आ रहा है १५ अगस्त. फिर से उस दिन सुबह उठते ही हम देश प्रेम के गीत को सुनेगे | सारे समाचार,टीवी चैनल सब जगह देश प्रेम की बाते की जायेगी, स्कुलो में भी गली के सबसे भ्रष्ठ नेता जी को देश प्रेम का भाषण देने के लिए बुलाया जाएगा | टीवी चैनल्स पर देश प्रेम की फ़िल्म लगाई जायेगी,दया करुणा प्रेम भाईचारे के साथ रहने की कसम खाई जायेगी. पूरा देश,देशभक्ति के रंग में डूब जाएगा..और जैसे ही १६ अगस्त आएगी..हम वो सारी बाते अगले १५ अगस्त तक भूल जायेगे..वो गाने जो १५ अगस्त को देश प्रेम के लिए बजाये गए थे उनको अगले २६ जनवरी या १५ अगस्त तक के लिए संभाल कर रख देंगे.. वो नेताजी जिनको देश भक्ति की प्रेरणा देने के लिए बुलाया गया था वो अपना घुस खाने का सिलसिला चालू रखेगे. और दया प्रेम करुणा और भाईचारे की बात करने वाले ये लोग कभ मजहब के नाम पर,कभी जमीं के नाम पर कभी बटवारे के नाम पर लड़ते झगड़ते रहेगे .ये बात मैंने अपने पिताजी से सुनी और और आज 24 बरस की मेरी उम्र हो गई है और बचपन से आज तक में यही माहोल देखता हुआ आया हूँ. हम शहीदों को याद करते है तो सिर्फ १ दिन के लिए,या वो एक दिन भी किसी मज़बूरी के खातिर ही याद करते है..मेरे घर से थोडा दूर गांधीजी की १ प्रतिमा लगी हुई है,पुरे साल उस पर धुल जमी रहती है कोई उसकी देख रेख तक नहीं करता पर जब भी १५ अगस्त आती है,२६ जनवरी आती है,२ अक्टुम्बर आता है, तो उसके १ दिन पहले उस प्रतिमा की सफाई की जाती है और १५ अगस्त को नेताज़ी उस प्रतिमा को माला पहनाते है भाषण होता है, भाषण नेताजी याद कर के आते थे.. क्योकि वो इतने भ्रष्ट और बेईमान थे की ईमानदारी और देश प्रेम की १ पंक्ति भी अपने मन से नहीं कह पाते थे,वह खड़े लोगो को भी भाषण से कोई मतलब नहीं रहता था उनको इन्तेजार रहता था उसके बाद बटने वाले लडडू का..

 

जिन लोगो ने अपने प्राणों की आहुति इस देश की रक्षा के लिए दे दी है क्या हमारा यही फर्ज है की हम सिर्फ १ दिन उन्हें याद करे और बाकी के दिन उनके लिए कोई सम्मान ना हो प्यार ना हो, क्या ये सही है आज हम १५ अगस्त को ध्यान में रखते है तो सिर्फ इसलिए क्योकि उस दिन हमें छुटी मिलेगी,बिना किसी स्वार्थ के, जिन लोगो ने इस देश को आजाद करवाया क्या यही कर्तव्य है हमारा उनके प्रति..आज हमें ये संकल्प लेना होगा की हम ना सिर्फ १५ अगस्त को बल्कि हर रोज अपने शहीदों को याद करेगे,मेरे पिताजी मुझसे कहते है की हम चाहते है की सुखदेव पैदा हो, भगत,राजगुरु पैदा हो पर हमारे घर नहीं पडोसी के घर, तो क्यों ना आज के दिन हम अपनी इस स्वार्थी मानसिकता को भी बदल दे,क्यों ना आज जब अन्ना हजारे जैसे लोग जब अन्याय के आगे आवाज उठाये तो उनकी आवाज में हम अपनी आवाज भी शामिल कर दे.. आओ आज हम सब मिल कर के १ नए भारत का निर्माण करे जिसमे सच्चाई हो, इमानदारी हो , भाईचारा हो,शांति हो, प्यार हो , किसी प्रसिद्ध शायर की पंक्तिया है की-

ना कही दंगा, ना कही फसाद होगा
हिन्दू मुसल्मा,हर जगह साथ साथ होगा
सभी के दिल मई मोहबत के फूल खिलते हो
हाँ मेरे सपनों का ऐसा भारत होगा

 

आओ हम सब मिल कर के इस सपनों के भारत का निर्माण करे

 

 

आपका अपना
तपन दुबे

Views: 947

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tapan Dubey on August 15, 2011 at 7:01pm

धन्यवाद गणेश जी , धन्यवाद सौरभ जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 15, 2011 at 6:57pm

ना कही दंगा, ना कही फसाद होगा
हिन्दू मुसल्मा,हर जगह साथ साथ होगा
सभी के दिलों में मुहब्बत के फूल खिलते हो
हाँ मेरे सपनों का ऐसा भारत होगा

 

बहुत बढ़िया तपन जी, आपका आलेख कही न कही युवा वर्ग के आक्रोश को प्रदर्शित करता है, जो लेखक महसूस करता है वाही लिखता है, देश की हालत कुछ ऐसा ही है की युवा कलमकार की कलम आग उगल रही है |

 

बधाई आपको |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 15, 2011 at 5:35pm

यों ही नहीं उपजी यह खीझ.  इस खीझ पर स्वर समवेत हों.

शुभेच्छा.

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service