For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - गुरप्रीत सिंह जम्मू

(22- 22- 22- 22)

जिसको हासिल तेरी सोहबत
क्यों चाहेगा कोई जन्नत

ऐ पत्थर तुझ में ये नज़ाकत
हां वो इक तितली की निस्बत

आप ने आंख से आंख मिलाकर
भर दी हर मंज़र में रंगत

दिल धक-धक करने से हटे तो
खोल के पढ़ लूँ मैं उनका ख़त

उसके हुस्न पे हैरां हूँ मैं
रोज ही बढ़ती जाए हैरत

मैं बिकने वालों में नहीं हूँ
यूँ तुमने कम आंकी कीमत

उसको पाना ही पाना है
कैसा मुकद्दर कौन सी किस्मत

दिल का शीशा टूट गया ना!
और करो पत्थर से मुहब्बत

कब तक करवाओगे 'जम्मू'
टूटे फूटे दिल की मुरम्मत

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 336

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Gurpreet Singh jammu on February 13, 2023 at 3:29pm

आपका बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर जी कि आपने ग़ज़ल की कमियां बताइं और उन्हें दूर करने के लिए बहुत अच्छे सुझाव भी दिए। इस मंच पर रचना डालने का मुख्य मकसद यही होता है कि रचना की खामियां पता चलें और रचना में सुधार हो। जिन दो शेर के बारे में आप ने बात की है, उन्ही पर मैं अटका था। हैरान हूं आपको कैसे पता चला। बाकी शेरों में भी देखता हूं क्या सुधार हो सकता है। रचना पर आने और अपनी कीमती टिप्पणी देने के लिए बहुत धन्यवाद सर जी।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on February 13, 2023 at 2:49pm

आ. गुरप्रीत जी,

बिना लाग लपेट के कहूँ तो कई मिसरे पूरे पकने से पहले तोड़ लिए गए लगते हैं.. 
.
हर दिन बढ़ती जाए हैरत..
.
मैं कब बिकने वालों में था 
तुमने भी कम आंकी कीमत
.
ऐसे बहुत से छोटे बदलाव मिसरों को अधिक ज़िन्दा बना देंगे,,
सोचियेगा 

Comment by Gurpreet Singh jammu on February 9, 2023 at 6:49am

जी, बहुत शुक्रिया आदरणीय समर सर जी

Comment by Samar kabeer on February 8, 2023 at 7:01pm

जनाब गुरप्रीत सिंह जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

टंकण त्रुटियाँ देख लें ।

Comment by Gurpreet Singh jammu on February 1, 2023 at 3:26pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 30, 2023 at 6:34am

आ. भाई गुरप्रीत जी, सादर अभिवादन। बहुत सुन्दर गजल हुई है। बहुत बहुत हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
15 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service