For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुनाह होना आम हो गया - डॉo विजय शंकर

वो गुनाह को पनाह देते रहे
वो पनपता रहा , वो मौज करते रहे .
गुनाह होना रोज का काम हो गया
ऐसा काम , कि बस आम हो गया ,
जब चाहे , जहां हो जाये ,
कौन जानें , कब , कहाँ हो जाये .
हालात ये हैं कि अब लोग चौंकते नहीं ,
कहीं , कुछ भी , हो जाए बोलते नहीं ,
कहीं , किसी से , कुछ पूछतें नहीं
उस तरफ , उफ्फ … देखते नहीं ,
ये हालात हैं , जो शर्मिन्दा कभी हुए नहीं ,
जब कि गुनाह खुद बेइंतहा शर्मिन्दा है ....
कि लोगो में उसके लिए कोई खौफ नहीं है
इस कदर अपनी इतनी बेइज्जती देख कर .

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 694

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 8, 2014 at 10:29pm

आपने पंक्तियों को समय दिया, मान दिया , आभार।  बधाई के लिए धन्यवाद आदरणीय लक्षमण लाड़ीवाला जी। 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 8, 2014 at 6:27pm
गुनाह होना रोज का काम हो गया
ऐसा काम, कि बस आम हो गया
हालात ये हैं कि अब लोग चौंकते नहीं,
कहीं, कुछ भी, हो जाए बोलते नहीं, --- तभी तो होंसले बुलंद है,कहाँ किसी को रंज है |- सार्थक रचना के लिए बधाई
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 8, 2014 at 4:17pm

प्रिय जीतेन्द्र  जी आपकी प्रतिक्रिया  अर्थपूर्ण होती है।   बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद।  

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 8, 2014 at 4:15pm
आदरणीय अरुण कुमार निगम जी आपकी बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 8, 2014 at 9:35am

सच कहा आपने, कहीं कोई खौफ नही है गुनाहों के प्रति. बहुत सुंदर वास्तविक रचना , आदरणीय डा.विजय जी. हार्दिक बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on November 7, 2014 at 10:56pm
आदरणीय विजय शंकर जी, सुन्दर रचना के लिये बधाई...
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 7, 2014 at 9:44pm
रचना की प्रशस्ति के लिए ,आभार , आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी।आपकी सद्भावनाओं हेतु सादर धन्यवाद।
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 7, 2014 at 9:42pm
आप को रचना पसंद आई ,आभार , आदरणीय गोपाल नारायण जी। सद्भावनाओं हेतु सादर धन्यवाद।
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 7, 2014 at 9:40pm
आप को रचना पसंद आई ,आभार , आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी। बधाई हेतु सादर धन्यवाद।
Comment by maharshi tripathi on November 7, 2014 at 8:10pm
बहुत ही खूबसूरत और यथार्थ प्रस्तुति |सर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
5 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
22 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
22 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service