For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दुनियाँ क्या से क्या हो गई-- डॉo विजय शंकर।

दुनियाँ,क्या से क्या
हो गई,
रफ़्तार, हवा से तेज
हो गई ,
जिंदगी, बस एक रेस
हो गई ,
मेहबूब की बातें,
मेहबूब से बातें ,
ग़ज़ल न जाने कहाँ ग़ुम
हो गई,
इश्क न जाने कहाँ खो गया
अफेयर का ज़माना हो गया ,
चलते हैं ,
बदलते हैं ,
कितने फेयर होते हैं ,
जफ़ा को अब कोई रोता नहीं ,
जिक्रे वफ़ा अब कहीं होता नहीं।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 693

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 8, 2015 at 10:59am
आदरणीय सतविंदर कुमार जी , प्रस्तुति पर आपकी उपस्थिति एवं प्रशस्ति के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 8, 2015 at 10:57am
आदरणीय कांता रॉय जी , आपकी विवेचनाएं गम्भीर होती हैं , आपकी इस प्रस्तुति की प्रशस्ति के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 8, 2015 at 10:54am
प्रिय कृष्ण मिश्रा जी , प्रशस्ति के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 7, 2015 at 8:54pm
जफ़ा को अब कोई रोता नहीं ,और जिक्रे वफ़ा होता नहीं।बहुत सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय जी
Comment by kanta roy on October 7, 2015 at 1:04pm

दुनियाँ,क्या से क्या
हो गई,
रफ़्तार, हवा से तेज
हो गई ,
जिंदगी, बस एक रेस
हो गई ,.......वाह ! बहुत खूब कही है आपने , वाकई दुनिया हवा से तेज हो गयी है अब।  दिल की बातें सुनने को किसको फुर्सत। जो ठहर गये वही अब बर्बाद है।  बधाई आपको तहेदिल आदरणीय डा. विजय शंकर जी इस सुन्दर रचना के लिए। 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on October 7, 2015 at 12:22pm
बहुत सुन्दर रचना हुयी है आ विजय सर।अंतिम पंक्तियाँ ही काफी है आज के परिदृश्य को बयाँ करने के लिए। हार्दिक बधाई।
सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 7, 2015 at 8:35am
आदरणीय डॉo आशुतोष मिश्र जी , प्रस्तुति पर आपकी उपस्थिति के लिए आभार एवं प्रशस्ति के लिए बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 7, 2015 at 8:31am
आदरणीय गिरीराज भंडारी जी , आपकी पकड़ के लिए बहुत बहुत आभार , हालात और आयाम तो बड़ी तेजी से बदल ही रहे हैं , प्रस्तुति पर आपकी उपस्थिति के लिए
धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 6, 2015 at 12:52pm

आदरणीय विजय सर  बर्तमान परिदृश्य को उकेरती शानदार शसक्त रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 6, 2015 at 12:09pm

आदरणीय विजय शंकर भाई , कटु सत्य बयान किया है आपने , लिव इन रिलेशन के जमाने में कौन किसमे वफा तलाशे । सब, तू नही और सही विचारों के मानने वाले हैं । सुनदर रचना के लिये हार्दिक बधाई आपको ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
5 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
7 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
7 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service