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आँखों में भरे खूँ लिए तलवार खड़ा है 
करने को मुझे कत्ल मेरा यार खडा है

.
दे दे तु मुझे अपनी दुआओँ का सहारा
चोखट पे तेरी आज ये बीमार खडा है

.
जाने दे मुझे मौत की आगोश मे हमदम
क्योँ बनके मेरी राह मे दीवार खडा है

.
मरकर ही सही  आज ये एजाज मिला तो 
करने को मेरा आज वो दीदार खडा है

.
गर मुझको मिटाने का वो रखते हें इरादा
हसरत भी फना होने को तय्यार खडा है.

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Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on May 16, 2012 at 2:39pm

bahut bahut shuqriya sooraj ji

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 16, 2012 at 2:33pm

माशाल्लाह ! क्या खूब कहा है !

हाथोँ मे लिये खूँ भरी तलवार खडा है
करने को मुझे कत्ल मेरा यार खडा है॥

बहुत जानदार मतला है भाई जान !

Comment by वीनस केसरी on March 16, 2012 at 1:58pm

सदैव स्वागत है मित्रवर

Comment by राज लाली बटाला on March 15, 2012 at 2:09am

गर मुझको मिटाने का वो रखता हे इरादा
हसरत भी फना होने को तय्यार खडा है. ~~


गर मुझको मिटाने का वो रखते हैं इरादा
हसरत भी फना होने को तय्यार खडा है.  !! khoob !!rahi !! 

Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on March 14, 2012 at 4:35pm
वीनस जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया आपके मार्गदर्शन से मेरी रचना भी दोष रहित हो गयी और मेरे इल्म मे भी इजाफा हो गया
आपका बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on March 14, 2012 at 4:29pm
आप हजरात को मेरी रचना पसंद आई मेरी मेहनत कामयाब हो गयी बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 14, 2012 at 3:34pm

श्री अहमद जी, सादर. अति सुंदर ग़ज़ल. निम्न पंक्तियों के लिए खास बधाई :

जाने दे मुझे मौत की आगोश मे हमदम
क्योँ बनके मेरी राह मे दीवार खडा है.

Comment by Abhinav Arun on March 14, 2012 at 3:11pm

अच्छे शेर कामयाब ग़ज़ल हसरत साहब दिली मुबारकबाद  !!

Comment by वीनस केसरी on March 14, 2012 at 1:17pm

गर मुझको मिटाने का वो रखता हे इरादा
इस मिसरे को यूं कर लें तो शेर और खूबसूरत हो जायेगा

गर मुझको मिटाने का वो रखते हैं इरादा
हसरत भी फना होने को तय्यार खडा है.
-------------------------------------------------------

किसी मतले के अतिरिक्त जब शेर के मिसरा उला के अंत में रदीफ की तुकांतता आ जाती है तो तकाबुले रदीफ का दोष पैदा होता है
आपके शेर में देखें
मर कर के मुझे आज ये एजाज मिला है
करने को मेरा आज वो दीदार खडा है

इस वजह से उला के अंत को बदलना पड़ेगा
इसके दो भाग है उस पर फिर कभी चर्चा की जायेगी
(बहुत जरूरी होने पर और किसी और तरीके से शेर के कथ्य के आधार पर खराब हो जाने की दशा में तकाबुले रदीफ में कुछ छूट भी दी गई है मगर उसका प्रयोग तभी करना चाहिए जब शेर में कोंई और तरीका ना बच रहा हो या किसी और तरीके से लिखने पर शेर में अर्थ का अनर्थ हो जा रहा हो ... )

Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on March 14, 2012 at 8:57am
वीनस भाई तलाबुले रदीफ के दोष के बारे मे भी थोडा समझा देँ

कृपया ध्यान दे...

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