For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रचना पूर्व प्रकाशित होने के कारण ओ बी ओ नियमों के आलोक में प्रबंधन स्तर से हटा दी गयी है.

एडमिन 

२०१५०३१९०७ 

Views: 763

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nirmal Nadeem on March 19, 2015 at 10:16pm
भाई ने ग़ज़ल की धज्जियाँ उड़ा दी है। मेरी सोच के परे है। और ज़्यादा क्या कहूँ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 19, 2015 at 10:12pm

आदरणीय निर्मल भाई जी कमाल की ग़ज़ल की बह्र भी बता दीजिए हम तो पूछ पूछ हार गए.

Comment by Nirmal Nadeem on March 19, 2015 at 10:10pm
कमाल की ग़ज़ल है भाई।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 19, 2015 at 5:44am

आदरणीय नवीन मणी त्रिपाठी जी, मेरी खोजी प्रवृत्ति आपको पसंद आई, उसके लिए हार्दिक आभार, इस खोजी प्रवृत्ति ने आपकी पहली रचना चैनलों की शाख पर अब झूठ का अम्बार है  के भी पूर्वप्रकाशित होने की खोज कर ली थी जो तीखी कलम से ब्लॉग और साहित्यिक पत्रिका जय विजय में प्रकाशित हो चुकी है किन्तु मंच पर आपकी पहली रचना थी इसलिए आगाह नहीं किया किन्तु जब दूसरी रचना भी पूर्वप्रकाशित ही पोस्ट की गई तो मंच की गरिमा को देखते हुए निवेदन किया है. बाकी आदरणीय प्रधान संपादक महोदय के निर्णय पर है. वैसे रचना के नीचे मौलिक व अप्रकाशित लिखना भी अनिवार्य है, मंच का पहला नियम है- 1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । 

\\रहा सवाल मिसरों का मैं उन्हें चेक करूँगा ।\\

अवश्य यदि ग़ज़ल की बह्र फाइलातुन-फाइलातुन-फाइलातुन- फ़ाइलुन है तो करीब, नसीब, हबीब, रकीब, गरीब और अजीब काफियाबंदी हो ही नहीं सकती. इस काफिया के साथ ग़ज़ल के सभी अशआर ख़ारिज हो जायेंगे. सादर, शुभकामनाएं 

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 19, 2015 at 2:08am
भाई मिथिलेश वामनकर जी आपकी खोजी प्रवृत्ति को नमन ।
रहा सवाल मिसरों का मैं उन्हें चेक करूँगा ।
Comment by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on March 18, 2015 at 9:26pm

आदरणीय नवीन जी इस खूबसूरत रचना  पर आपको बहुत बहुत बधाई ........ख्याल अच्छे हैं बहर पर ध्यान देने की ज़रुरत है 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 18, 2015 at 9:17pm

आदरणीय नवीन मनी त्रिपाठी जी ,इस रचना पर बधाई आपको , बाकी आदरणीय मिथिलेश भाई और  श्रद्येय डॉक्टर गोपाल सर की बात का संज्ञान लें ! सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 18, 2015 at 8:42pm

आदरणीय नवीन मनी त्रिपाठी जी इस रचना की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. आपने ग़ज़ल की बह्र नहीं लिखी है इसलिए बह्र पकड़ने की कोशिश की है...हर  कलम तारीफ लिखती जा रही  इस दौर में ... इस मिसरे से ग़ज़ल फाइलातुन-फाइलातुन-फाइलातुन- फ़ाइलुन बह्र लग रही है. इस हिसाब से इस रचना के कई मिसरे बेबह्र हो गए है. बह्र बिना रचना को ग़ज़ल कहने की सार्थकता आप भी समझते है. आदरणीय गिरिराज सर से मैं भी सहमत हूँ. सादर.

एक निवेदन है कि मंच के नियमानुसार अप्रकाशित रचना ही पोस्ट की जानी चाहिए किन्तु आपकी ये रचना सोशल मीडिया/ब्लोग्स में पूर्व में ही प्रकाशित हो चुकी है. सुलभ सन्दर्भ हेतु 11 फरवरी 2012 को प्रकाशित रचना का चित्र -

Comment by somesh kumar on March 18, 2015 at 7:09pm

सुंदर गज़ल और सुंदर भाव ,बधाई नवीन जी |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 18, 2015 at 5:30pm

आदरणीय नवीन भाई , बातें अच्छी हैं ! आपको इसके लिये बधाइयाँ ।

मै आदरणीय गोपाल भाई जी की बात से सहमत हूँ , गज़ल का वज़्न भी देना चाहिये !  अगर आप अपनी रचना को गज़ल कहेंगे तो पाठक बह्र ज़रूर पूछेंगे । // आशा है आप मेरे विचार से सहमत हो जाएंगे //  अगर आप रचना की विधा में गज़ल लिखते हैं तो सहमति का कोई सवाल ही नही उठता । क्योंकि बिना बह्र के ग़ज़ल कोई कह नही सकता । आशा है  आप मेरी बातों को समझ सकेंगे , और अन्यथा नहीं लेंगे ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service