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कह मुकरियाँ [6 से 10]

6.

जीवन मेरा रोशन करता
सूरज जैसे तम को हरता
उस बिन धड़के मेरा जिया
क्या सखि साजन ? ना सखि दीया
7.
चले संग वो धड़कन जैसे
उस बिन कटे बताऊँ कैसे
रखे हिसाब हर पल हर कड़ी
क्या सखि साजन ? नहीं सखि घड़ी

8.

पलकें मीचूं सपने लाता
कोमलता से फिर सहलाता
छोड़े ना वो पूरी रतिया
क्या सखि साजन? ना सखि तकिया
9..
नया रूप ले रात को आता
दिन चढ़ते वैरी छुप जाता
छिपता जाने कौनसी मांद
क्या सखि साजन ? ना सखि चाँद
10.
तुम से रूप निखरता दूना
बिन तेरे लगता है सूना
अखियाँ मीचूं रूठे पागल
क्या सखि साजन ? ना सखि काजल

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Comment by annapurna bajpai on February 23, 2014 at 12:26am

bahutबहुत सुंदर , आ0 सरिता जी बधाई आपको । 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 22, 2014 at 10:38pm

बहुत ही सुंदर कह मुकरियाँ , बधाई आदरणीया सरिता जी

Comment by ram shiromani pathak on February 22, 2014 at 4:41pm

पलकें मीचूं सपने लाता
कोमलता से फिर सहलाता
छोड़े ना वो पूरी रतिया
क्या सखि साजन? ना सखि तकिया ////////बहुत ही सुन्दर कह मुकरियाँ आदरणीया सरिता जी  ,हार्दिक बधाई आपको  //सादर

Comment by Shyam Narain Verma on February 22, 2014 at 3:16pm
शानदार रचना आदरणीया बहुत२ बधाई ................
Comment by Neeraj Neer on February 22, 2014 at 8:58am

बहुत सुन्दर मुकरिया., 

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