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भिड़े प्रहरी न्याय के - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

दोहे

भिड़े प्रहरी न्याय के, लेकर निज अभिमान
मुसमुस जनता हँस रही, ले इस पर संज्ञान।१।


खाकी का ईमान क्या, बिकता काला कोट
वह नेता भी भ्रष्ट है, जन दे जिसको वोट।२।


लूट पीट जन आम को, करें न्याय का खून
खाकी, काला कोट खुद, बन बैठे कानून।३।


खाकी, काले कोट को, है इतना अभिमान
आम नागरिक कब भला, हैं इनको इन्सान।४।


रहा न जिनका आचरण, जैसा सूप सुभाय
वही  सुरक्षा  माँगते, वही  कह  रहे  न्याय।५।


काली वर्दी पड़ गयी, खाकी पर अधिभार
जिस डण्डे की धौंस थी, हुआ वही लाचार।६।


चलते रहते नित अगर, न्याय धर्म की राह
लगती ऐसे ना कभी, जनमानस की आह।७।


वर्दी पिटते देख कर, चीख रहा परिवार
वैसे बोला क्या कभी, बेबस को मत मार।८।


सीखें दोनों ही यहाँ, संयम का व्यवहार
टूटेगा फिर यूँ नहीं, कभी मान का तार।९।


इस  घटना  का  बस  यही, दोनों  को  संदेश
करो नहीं अभिमान का, कभी सघन परिवेश।१०।


मौलिक अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

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Comment by नाथ सोनांचली on November 9, 2019 at 5:27am

आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी सादर अभिवादन। समसामयिक विषय को आभार बनाकर बेहतरीन रचना की आपने। बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 8, 2019 at 8:29am

आदरणीय लक्ष्मण धामी “मुसाफिर” जी , समसामयिक उठे प्रासंगिक विषय पर कुछ कुछ उद्वेलित करती हुयी प्रस्तुत कविता के लिए बधाई। विचारणीय यह है कि प्रथम तो हम राजनैतिक संक्रमण में प्राप्त लोकतंत्र के साथ प्रयोग कर रहे हैं , द्वित्तीय , हमारा लोकतंत्र अभी पूर्णरूपेण परिभाषित ही नहीं हो पाया और उसे संवर्गों में बटा विशाल जन समुदाय अपने अपने पक्ष को देखते हुए परिभाषित करने का प्रयास कर रहा है। इन सब के अतिरिक्त हर राजनैतिक संवर्ग स्वयं को श्रेष्ठ स्थापित करने में तो लगा ही है , सर्विस क्लास भी उसी प्रकार से स्वयं को स्थापित करने के लिए प्रयास रत है। यह सारी बातें राजनीति से नहीं अच्छी प्राथमिक शिक्षा से जिसमें बच्चों को शिष्ट और सभ्रांत नागरिक बनने की प्रेरक शिक्षा दी जाये से संभल सकती हैं। हर काम के लिए और हर पुलिस के पीछे आप पुलिस नहीं लगा सकते, और लगा भी लें तो यह स्थिति शांत हो जाएगी , संभव नहीं है। हर सेवा संवर्ग के कुछ सिद्धांत और आदर्श होते हैं , उन्हें उन पर अडिग रहने की शिक्षा देनी चाहिए।
आपने बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर रचना प्रस्तुत की है , आपको बहुत बहुत बधाई। सादर।

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