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बारिश की एक बूंद

 

घने-काले बादलों से निकल बूंद, जब

सपनों में, अनगिनत खो जाती है

कहाँ गिरूंगी कैसे गिरूंगी

सोच-सोच घबराती है ||

 

क्या गिरूंगी, फूल पराग में

या धुल संग मिल जाऊँगी

कहीं बनूँगी, ओस का मोती

और मनमोहकबन जाऊँगी ||

 

कहीं बनूँ, जीवन आधार मैं

जीव की प्यास बुझाऊंगी

या जा गिरूंगी धधकती ज्वाला

क्षणभर में ही जल जाऊँगी ||

 

कहीं गिरूंगी जल तरंगिणी

धारा में उसकी मिल जाऊँगी

या जा गिरूंगी समुद्र के जल में

लहरों में ही खो जाऊँगी ||

 

बूंद धरा पर गिरने से पहले

कितने जीवन जी लेती है

जा गिरती जब ईश्वर चरण में

श्र्द्धा सुमन बन जाती है||

"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment by PHOOL SINGH on November 4, 2019 at 10:05am

उस्मानी सर आपका सादर आभार 

Comment by PHOOL SINGH on November 4, 2019 at 10:04am

भाई सुरेंदर नाथ आपके सुझाव के लिए आपका आभार आगे से कोशिश रहेगी ऐसा ना हो 

Comment by PHOOL SINGH on November 4, 2019 at 10:03am

कबीर सर मेरी रचनाओ के लिए आफ्ना कीमती समय निकालने के लिए आपका बहुत धन्यवाद 

Comment by नाथ सोनांचली on November 2, 2019 at 4:57pm

आद0 फूल सिंह जी सादर अभिवादन। यह बेहतरीन रचना पर आपको बधाई। एक बात कहना चाहूँगा कि 'एक बूँद' नामक शीर्षक से कवि श्री 'अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध' जी की एक रचना पर इसी भाव पर मिलती है। मैं वह रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ।

एक बूँद

ज्यों निकल कर बादलों की गोद से।
थी अभी एक बूँद कुछ आगे बढ़ी।।
सोचने फिर फिर यही जी में लगी।
आह क्यों घर छोड़कर मैं यों बढ़ी।।

दैव मेरे भाग्य में क्या है बढ़ा।
में बचूँगी या मिलूँगी धूल में।।
या जलूँगी गिर अंगारे पर किसी।
चू पडूँगी या कमल के फूल में।।

बह गयी उस काल एक ऐसी हवा।
वह समुन्दर ओर आई अनमनी।।
एक सुन्दर सीप का मुँह था खुला।
वह उसी में जा पड़ी मोती बनी।।

लोग यों ही है झिझकते, सोचते।
जबकि उनको छोड़ना पड़ता है घर।।
किन्तु घर का छोड़ना अक्सर उन्हें।
बूँद लौं कुछ और ही देता है कर।।

कुछ बातों को हटा दें तो आपकी रचना का मूल भाव समान है। इस पर विचार कीजिये। सादर

Comment by Samar kabeer on November 1, 2019 at 2:23pm

जनाब फूल सिंह जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 31, 2019 at 10:21pm

आदाब। बेहतरीन यथार्थ। सुहाना सफ़र। बेहतरीन परिकल्पना। हार्दिक बधाई आदरणीय फूल सिंह साहिब।

कृपया ध्यान दे...

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