For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चंद क्षणिकाएँ :

चंद क्षणिकाएँ :

मन को समझाने
आई है
बादे सबा
लेकर मोहब्बत के दरीचों से
वस्ल का पैग़ाम

............................

रात
हो जाती है
लहूलुहान
काँटे हिज़्र के
सोने नहीं देते
तमाम शब

............................

रात
जितने भी
नींदों में ख़वाब देखे
उतने
सहर के काँधों पर
अजाब देखे

...............................

हया
मोहब्बत में
हो गयी
बेहया

..............................


याद में
हो जाएंगी
नमनाक नज़रें
राज़ खुल जाएँगे
तुमने जो उठाई
अपनी

नज़रें

.............................


सुलझाने में
उलझ गए हम
ज़ुल्फ़ों के ख़म

बेपरवाह अंगड़ाईयाँ
मिट गए उश्शाक़
आतिश में
हुस्न की
(उश्शाक़ =आशिक का बहुवचन )


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 672

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 31, 2019 at 6:50pm

आदाब। बेहतरीन क्षणिकायें। हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना साहिब। सभी कठिन उर्दू शब्दों के अर्थ हम जैसे पाठकों के लिए निवेदित।

Comment by Sushil Sarna on October 31, 2019 at 11:51am

आद0  KALPANA BHATT ('रौनक़')जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 30, 2019 at 5:29pm

भावपूर्ण क्षणिकाएँ! हार्दिक बधाई आदरणीय सुनील सरना जी|

Comment by Sushil Sarna on October 30, 2019 at 4:39pm

आदरणीय डॉ.गीता चौधरी जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का तहे दिल से शुक्रिया। सृजन आपकी प्रेरक टिप्पणी का आभारी है। हार्दिक आभार।

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on October 30, 2019 at 10:46am

आदरणीय सुशील सरना जी आपकी क्षणिकाओं को मै बार बार पढती हूँ, और शायद यही किसी रचना की खूबसूरती का पैमाना हैI सभी क्षणिकाएं बहुत ही अच्छी लगी... पर "याद में हो जायेंगी........" बहुत सुंदर हैI सर बहुत बहुत बधाई आपकोI

Comment by Sushil Sarna on October 29, 2019 at 2:12pm

आदरणीय समीर कबीर साहिब, आदाब ... आपके मार्गदर्शन का तहे दिल से शुक्रिया। हो सकता है मेरे से ही कहीं गलती हो गई हो। असुविधा के लिए क्षमा। आपका स्नेह मेरी अमूल्य निधि है। हार्दिक आभार। अभी एडिट कर देता हूँ सर। सदर नमन। 

Comment by Samar kabeer on October 28, 2019 at 7:20pm

सहीह शब्द "सहर" है,जिसका अर्थ है सुब्ह ।

और "सह्र" का अर्थ होता है जादू ।

आपको ग़लत याद रह गया मैं ऐसी भूल सपने में भी नहीं करता ।

Comment by Sushil Sarna on October 28, 2019 at 6:38pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल से शुक्रिया। जी हाँ, आपने ठीक समझा ... सर मेरे को ऐसा याद आ रहा है कि आपने एक रचना में सहर को सह्र की तरह लिखने का मशवरा दिया था कृपया मार्गदर्शन करें कि कौन सा सही है। तकलीफ के लिए क्षमा चाहूँगा।

Comment by Samar kabeer on October 28, 2019 at 3:45pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी क्षणिकाएँ लिखीं आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

'सह्र के काँधों पर'

इस पंक्ति में 'सह्र' का अर्थ जादू होता है,और आप शायद यहाँ सुब्ह के लिए "सहर" लिखना चाहते हैं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
12 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
16 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
17 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service