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चंद हाइकु ...

संग दामिनी
धक-धक धड़के
प्यासा दिल

तड़पा गई
विगत अभिसार
बैरी चपला

लुप्त भोर
पयोद घनघोर
शिखी का शोर

छुप न पाया
विरह का सावन
दर्द बहाया

खूब नहाई
रूप की अंगड़ाई
रुत लजाई

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 404

Comment

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Comment by Sushil Sarna on August 8, 2019 at 7:50pm

आदरणीय Samar kabeeजी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on August 8, 2019 at 7:49pm

आदरणीय  C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया का दिल से आभार। 

Comment by Samar kabeer on August 8, 2019 at 3:25pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छे हाइकू लिखे आपने,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on August 6, 2019 at 8:28pm

 Sushil Sarna जी,

सभी हाइकु अच्छे | खास तौर से इसके लिए बहुत-बहुत बधाई :

छुप न पाया 

विरह का सावन 
दर्द बहाया

कृपया ध्यान दे...

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