For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोनों सर्विस में थे I दोनों एक ही मंजिल के दैनिक रेल यात्री थे I दोनों के बीच आँखों-आँखों में प्यार का व्यापार कुछ माह चला I प्लेटफार्म में, ट्रेन के कम्पार्टमेंट में दोनों एक दूसरे को ढूंढते I लडकी सोचती कि पहले लडका पहल करे, पर लडका नैन- सुधारस पान कर ही संतुष्ट था I एक दिन लडकी की सहेलियों ने कहा –‘ मि० शील-संकोच से तुझे ही बात करनी पड़ेगी i’

            लडकी ने साहस किया I एक दिन ट्रेन से उतरकर उसने लडके से कहा -‘आप को ऐतराज न हो तो हम साथ-साथ काफी पी सकते हैं ?’

 

‘यहाँ आप सर्विस करते हैं ?’ –काफी का सिप लेते हुए लडकी ने पूछा I

‘हाँ, डिग्री कालेज में हिन्दी पढाता हूँ i कुछ महीने पहले ही अप्वायंट हुआ हूँ i’

‘मैं बैंक में हूँ I’

‘जी ------‘

‘आप मुझसे कुछ कहना चाहते है ?’

‘मैं----?  नही तो –‘

‘कमाल है, फिर इतने दिनों से ये नैना-फायटिंग क्यों चल रही है ?- अचानक लडकी की सहेली वहाँ प्रकट हुयी I

‘दरअसल --------‘ –लडका हकलाया –‘यह फर्स्ट-साईट-लव का मामला है I इट्स नेचुरल , इफ यू नो I पर गलती मेरी है, मुझे अपने पर नियंत्रण रखना चाहिए था अफ़सोस  यह हो नहीं पाया I’

‘तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ा ? यह भी तो तुम्हारे प्यार में ---है I यानी कोई समस्या ही नहीं?’

‘पर समस्या है, इसीलिये मेरी चेतना मुझे झिंझोड़ती है और रोकती है I ‘- युवक ने संजीदगी से कहा I

‘कौन सी समस्या ? कैसी चेतना ?’- सहेली ने भ्रमित होकर पूछा I

‘क्षमा कीजिएगा , मैं विवाहित हूँ I ’

 

((मौलिक व अप्रकाशित ) 

 

 

 

 

 

Views: 612

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सर्वेश कुमार मिश्र on January 20, 2019 at 7:35pm

वाह्ह्ह्हह्ह्!

'माफ़ कीजिएगा..."

निःशब्द

Comment by सर्वेश कुमार मिश्र on January 20, 2019 at 7:33pm

वाह्ह्ह्हह्ह्!

अंतिम पंक्ति 'मैं विवाहित हूँ"

निःशब्द

Comment by Mahendra Kumar on January 16, 2019 at 4:18pm

बढ़िया लघुकथा है आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 14, 2019 at 11:45pm

आदाब। वाक़ई होता तो ऐसा भी है  अधिकतर बुद्धिजीवी पुरूषों के साथ। आजकल की लड़िकयां तो यूं जुगाड़ से सब कुछ कह या कहलवा देतीं हैं और 'दूध का दूध, पानी  का पानी' या 'एक-तरफ़ा प्रेमाकर्षण- कहानी' सुस्पष्ट हो जाती है, वरना पुरुष ही स्वयं से उलझता रहकर स्वयं पर भड़ास निकाल कर दूसरों के उपहास को यूं सहता रहता है। 

गंभीर विषय पर बेहतरीन रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव साहिब। रोचक शीर्षक यह भी हो सकता है : "साइड-लव-एट-फर्स्ट-साइट" या इसे लड़की के संवाद में कहलवाया जा सकता है कहीं?

Comment by Samar kabeer on January 14, 2019 at 5:55pm

जनाब डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
9 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service