For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: न हसरतों से ज़ियादा रखें लगाव कभी ...(१२ )

(१२१२ ११२२ १२१२ २२/११२ )
***
न हसरतों से ज़ियादा रखें लगाव कभी 
वगरना क़ल्ब में मुमकिन है कोई घाव कभी 
***
इमारतें जो बनाते जनाब रिश्तों की 
उन्हें भी चाहिए होता है रखरखाव कभी 
***
हयात का ये सफर एक सा कहाँ होता 
कभी ख़ुशी तो मिले ग़म का भी पड़ाव कभी 
***
न इश्क़ की भी ख़ुमारी सदा रहे यकसाँ 
कभी उतार का आलम है और चढाव कभी 
***
अदब से पेश ज़रा आइये ज़माने से 
कि डाल सकता है मुश्किल में बेज़ा ताव कभी 
***
हयात आपकी ख़तरे में डाल सकता है 
क़रीब आने न दीजै कोई तनाव कभी
***
यक़ीन कीजै बदलना है वक़्त की फ़ितरत 
कभी पुलाव का मौसम तो है अभाव कभी 
***
सभी को बख़्शी बराबर है नैमत-ए-क़ुदरत 
ख़ुदा तो करता नहीं कोई भेदभाव कभी 
***
सलाह मुफ़्त में देना 'तुरंत ' छोड़ें अब 
कि बेवक़ूफ़ को हरगिज़ न दें सुझाव कभी 
***
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी
०८/०१/२०१९

(मौलिक एवं अप्रकाशित) 

Views: 842

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on January 10, 2019 at 5:12pm

'सभी को बख़शीं बराबर हैं नेमतें देखो'

इस मे 'देखो' भर्ती का शब्द नहीं है,लेकिन:-

'सभी को बख़शीं बराबर हैं नेमतें उसने'

ये मिसरा ज़ियादा प्रभावी है ।

छटे शैर के बारे में सोचता हूँ ।

Comment by PHOOL SINGH on January 10, 2019 at 11:59am

"गिरधारी साहब" बहुत सूंदर वक्त से मेल खाती रचना बधाई स्वीकारें

Comment by राज़ नवादवी on January 10, 2019 at 9:47am

आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत साहब, आदाब. सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति पे दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें. सादर. 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on January 9, 2019 at 11:24pm

भाई Md. anis sheikh  जी आपकी हौसला आफजाई के लिए शुक्रगुज़ार हूँ | 

शाद-औ-आबाद रहें

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on January 9, 2019 at 11:22pm

आदरणीय Samar kabeer जी ,आदाब | ग़ज़ल के प्रयास को सराहनात्मक प्रतिक्रिया से समर्थन देने एवं हौसला आफजाई के लिए दिल से शुक्रगुज़ार हूँ  | सभी को बख़शीं बराबर हैं नेमतें देखो ( कई लोग देखो और सुनो इस प्रकार प्रयोग करते हैं ,मुझे लगता है ये भी भर्ती के ही शब्द है )सभी को बख़शीं बराबर हैं नेमतें उसने -क्या यह सही रहेगा ? न आने दीजिये नज़्दीक सब तनाव कभी '( यहाँ सब का प्रयोग मैंने सभी को सलाह देने के लिए किया है ,उस हिसाब से भर्ती का तो नहीं लग रहा है फिर भी आपके ध्यान में यहाँ क्या हो सकता है ,कुछ आये तो बताने की कृपा करें | 

Comment by Md. Anis arman on January 9, 2019 at 8:39pm

जनाब गिरधारी सिंह "तुरंत "जी अच्छी ग़ज़ल हुई है बहुत बहुत बधाई 

Comment by Samar kabeer on January 9, 2019 at 8:26pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।


'न आने दीजिये नज़्दीक सब तनाव कभी '

इस मिसरे में 'सब' शब्द भर्ती का है,देखियेगा ।

' सभी को बख़्शी बराबर है नैमत-ए-क़ुदरत'

इस मिसरे को यूँ कर लें तो गेयता के साथ शिल्प भी मज़बूत होगा:-

'सभी को बख़शीं बराबर हैं नेमतें देखो'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service