For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क़ैद मैं कैसे दायरे में हूँ....संतोष

अरकान:

फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन फेलुन

क़ैद मैं, कैसे दायरे में हूँ

कौन है जिसके सिलसिले में हूँ

आप तो मीठी नींद सोते हैं

और मैं सदियों से रतजगे में हूँ

अब नहीं कोई फ़िक्र दुनिया की

चैन से अपने मक़बरे में हूँ

मुझको मंज़िल मिली नहीं अब तक

एक मुद्दत से रास्ते में हूँ

उनकी यादों को भूलना है मुझे

यूँ मैं 'संतोष'मैकदे में हूँ

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

~संतोष

Views: 806

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by santosh khirwadkar on November 3, 2018 at 10:45am

बहुत आभार आ.बलराम जी

Comment by Balram Dhakar on October 29, 2018 at 3:05pm

आदरणीय संतोष जी, बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है।

दिली मुबारक़बाद क़ुबूल फ़रमाएं।

सादर।

Comment by Samar kabeer on October 28, 2018 at 2:50pm

// और मैं सदियों से रतजगे में हूँ//

जनाब निलेश जी,इस मिसरे को मैंने ऐसे पढ़ा था:-

'उर में सदियों से रतजगे में हूँ'

//

उनकी यादों को भूलना है मुझे

यूँ मैं 'संतोष'मैकदे में हूँ//

इस शैर के सानी मिसरे में "यूँ" का अर्थ 'इसलिये' है, इसलिए मैं संतुष्ट हूँ ।

Comment by santosh khirwadkar on October 28, 2018 at 10:32am

आदरणीय भाई श्री नीलेश जी ,स्वागत , बहुत शुक्रिया !! आप के बताये विचारों से ग़ज़ल को और बेहतर करने का प्रयत्न करूँगा ! किन्तु मेरे व्यक्तिगत मतानुसार पटल अथवा इस पवित्र पाठशाला के सभी वरिष्ठ एवं गुरु तुल्य व्यक्तित्व अपने शिक्षा देने का कार्य हम प्रशिक्षुओं को बखूबी दे रहे हैं!

Comment by santosh khirwadkar on October 28, 2018 at 10:08am

आदरणीय लक्ष्मण धामी साहब धन्यवाद !!

Comment by santosh khirwadkar on October 28, 2018 at 10:07am

आदरणीय श्री बृज कुमार जी बहुत शुक्रिया !!

Comment by santosh khirwadkar on October 28, 2018 at 10:06am

आदरणीय श्रीआरिफ़ साहिब बहुत बहुत शुक्रिया !!

Comment by santosh khirwadkar on October 28, 2018 at 10:03am

आदरणीय श्री अजय साहब , बहुत बहुत धन्यवाद !

Comment by santosh khirwadkar on October 28, 2018 at 10:02am

आदरणीय श्री समर साहब प्रणाम , बहुत बहुत धन्यवाद ! आपका आशीर्वाद सदा अपेक्षित !!

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 28, 2018 at 8:37am

आ. संतोष दादा,
अच्छी ग़ज़ल हुई है 
और मैं सदियों से रतजगे में हूँ इस मिसरे की बह्र जाँच लें 
मैं कि सदियों से रतजगे में हूँ
यूँ मैं 'संतोष'मैकदे में हूँ.. यहाँ यूँ कि जगह फिर या सो अधिक बेहतर रहता...
आ. समर सर, अजय सर... आप ने यहाँ भी बह्र की त्रुटी इंगित नहीं  की..
क्या मंच सिर्फ  दाद  देकर निकल जाने वाला ग्रुप बन  गया है?
सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर साहब,  इस बात को आप से अच्छा और कौन समझ सकता है कि ग़ज़ल एक ऐसी विधा है जिसकी…"
27 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
5 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
6 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
14 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service