'भर के आँखों में नमी लहज-ए-साइल बाँधा ।
उनसे मिलने जो चला साथ ग़म ए दिल बाँधा ।
उनकी तशबीह सितारों से न अशआर में दी ।
उनके रुख़सार पै जो तिल था उसे तिल बाँधा ।
मैं भँवर से तो निकल आया मगर मैरे लिए ।
एक तूफ़ान भी उसने लबे साहिल बाँधा ।
हौसले पस्त हुए पल में मिरे क़ातिल के ।
तीर के सामने जब सीन-ए- बिस्मिल बाँधा ।
लुत्फ़ अंदोज़ है "जावेद"तग़ज़्ज़ल कितना ।
हमने मोज़ू ए महब्बत को सलासिल बाँधा ।
मौलिक/अौर प्रकाशित मिर्ज़ा जावेद बेग ।
Comment
आली जनाब सौरभ पांडे जी आदाब
मेरी ग़ज़ल को अपनी मुस्तनद दाद ओ तेहसीन से नवाज़ने
के लिए दिल की अमीक़ गहराइयों से शुक्र गुज़ार हूं ।
आदरणीय मिर्ज़ा जावेद बेग़ जी, आपकी इस अच्छी ग़ज़ल पर दाद दे रहा हूँ.
शुभकामनाएँ व बधाइयाँ
जनाब नरेंन्द्र सिंह चौहान जी आदाब
ग़ज़ल को पसंद फ़रमा कर दादो तहसीन से नवाज़ने के लिए
दिली शुक्रिया ।।
जनाब नरेन्द्र सिंह चौहान साहिब आदाब, आपसे पहले भी कई बार निवेदन कर चुका हूँ कि इस तरह की टिप्पणी ओबीओ मंच की परिपाटी नहीं है,ये सोशल मीडिया पर ही चलती होगी,ये सीखने सिखाने का पटल है, यहाँ पहले रचनाकार को पूरे सम्मान से संबोधित किया जाता है,फिर उसकी रचना की तारीफ़ या आलोचना शिष्टता के साथ की जाती है,उदाहरण स्वरूप इसी ग़ज़ल पर आई हुई टिप्पणियां देखें ,उम्मीद है मेरी बात को संज्ञान में लेंगे ।
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महब्बत का रहे बस हाथ सर पे
मुझे इस पेड़ का साया बहुत है//
अच्छा शैर हुआ ।
मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब की ख़िदमत में
सलाम अर्ज़ करता हूं ।
आप जिस तरह से नौमश्क शौरा की हौसला अफ़ज़ाई करते हें
यक़ीनन बे मिसाल है ।
आपकी बेलौस महब्बतों का हमैशा से ही क़ाइल हूं अपना एक शैर
आपकी नज़्र करता हूं ।
महब्बत का रहे बस हाथ सर पे :-)
मुझे इस पेड़ का साया बहुत है ।
जनाब अजय तिवारी जी आदाब
तालिब इल्म की हौसला अफ़ज़ाई की आपने
बेहद शुक्रगुज़ार हूं ।
जनाब आरिफ़ भाई साहिब सुख़न नवाज़ी के लिए आपका तहे दिल से ममनून व मशकूर हूं ।
आदरणीय जावेद जी आदाब,
लाजवाब ग़ज़ल । हर शे'र पर दिली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए ।
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