For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नज़्म (इंसानियत का ख़ून )

(फ़ाइलातुन -फ़ाइलातुन -फ़ाइलातुन -फ़ाइलुन )

बन गया है आज का इंसान हैवां दोस्तो |
पाक औरत का रहेगा कैसे दामां दोस्तो |
पेश आया था कभी दिल्ली में जैसा वाक़्या |
हो गया कठुआ ,रसाना में भी वैसा हादसा |
जिसको सुन कर हो रहे हैं जानवर दुनिया के ख़्वार |
कर दिया इंसान ने इंसानियत को शर्म सार |
यह नहीं है ख़्वाब कोई है हक़ीक़त दोस्तो |
आसिफ़ा है वह लुटी है जिसकी इज़्ज़त दोस्तो |
उम्र उस मासूम की थी सिर्फ़ लोगों आठ साल |
मुफ़लिसी थी घर में लेकिन था नहीं कोई मलाल |
बकरियां जंगल में लेकर वो चराने क्या गई |
उसके ऊपर बद नज़र वहशी दरिंदों की पड़ी |
कर भी क्या सकती थी वो मासूम रोने के सिवा |
ले गए जबरन दरिंदे उसको जंगल में उठा |
उसको देविस्थान के अंदर दरिंदों ने रखा |
मासिवा जंगल के कुछ भी पास में उसके न था |
उनसे करती ही रही मासूम रो रो कर गुहार |
वो मगर करते रहे इज़्ज़त को उसकी तार तार |
खेल उस जा ये घिनौना तीन दिन तक था चला |
बाद इसके वहशियों ने जुर्म ये क़सदन किया |
क़त्ल उस बेआबरू मासूम बच्ची का किया |
लाश को फिर उसकी जंगल के हवाले कर दिया |
जब से इंसानों ने की हैवानी हरकत गांव में |
सब की आँखों में नज़र आती है दहशत गांव में |
हर कोई ग़ुस्से में है बदली हुई है हर नज़र |
लेगी कब सरकार उन वहशी दरिंदों की ख़बर |
पूछती है हुक्मराने मुल्क से बस ये अवाम |
वहशियों के कारनामों पर लगेगी कब लगाम |
ऐसे ही क़ानून की है अब ज़रुरत दोस्तो |
जो करे भारत में औरत की हिफाज़त दोस्तो |
उनको चौराहे पे लटका के दो फांसी की सज़ा |
चाहते तस्दीक़ सब हैं जल्द हो ये फ़ैसला |

(मौलिक व् अप्रकाशित )

Views: 837

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 22, 2018 at 2:33am

बहुत गंभीर चुनौती है इस दौर की!  हमारी गंगा-जमुनी संस्कृति को हैवानियत ने ललकारा है!  इंसानियत‌ को रक्तरंजित कर!  समसामयिक मार्मिक रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद और आभार आदरणीय तस्दीक़ अहमद ख़ान साहिब।

Comment by Samar kabeer on April 21, 2018 at 11:21am

शुक्रिया तस्दीक़ साहिब ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 21, 2018 at 11:06am

मुहतरम समर साहिब, बहुत खूब ,सच कहा है ।

Comment by Samar kabeer on April 21, 2018 at 9:45am

अपना एक शैर याद आ गया 'सरकार' पर:-

'सब कुछ है मगर आपको ऐसा ही लगेगा

इस मुल्क में जैसे कोई सरकार नहीं है'

'समर कबीर'

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 21, 2018 at 9:10am

जनाब नीलेश नूर साहिब ,नज़्म में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया । भाई इस प्रजातंत्र में शायर/कवि सिर्फ क़लम के ज़रिए अपना इज़हारे ख़याल कर सकता है , करना तो सरकार को है ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2018 at 10:20pm

अच्छी नज़्म है लेकिन आपकी फाँसी वाली ख्वाहिश का कुछ न बनेगा,,,
एक  पूरे जज को गायब कर दिया... बकरी चराने वाली को क्या इन्साफ देंगे?

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 19, 2018 at 6:33pm

आ .  जनाब डॉक्टर आशुतोष साहिब ,आपकी  नज़्म पर सुन्दर प्रतिक्रिया और  हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 19, 2018 at 4:58pm

आदरणीय जनाब तस्दीक अहमद जी पूरी घटना को आपने पूरी सम्बेदन शीलता के साथ अपनी रचना के माध्यम से पेश किया है ..भावुक कर देने वाली रचना है यह ...इन कृत्यों की घोर निंदा की जानी चाहिए ...सजा में फांसी से कम कुछ होना ही नहीं चाहिए ..रचना पर आपको कोटिशः बधाई सादर 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 19, 2018 at 4:44pm

मुहतरम जनाब विजय निकोरे साहिब , आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया
और हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी |

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 19, 2018 at 4:42pm
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब , आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया से नज़्म लिखना सार्थक हुआ
आपके हिम्मत बढ़ाते अलफ़ाज़ और हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
10 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
11 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
12 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
16 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
20 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
22 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service