For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- जो काम बस का नहीं, उसका इश्तिहार किया // दिनेश कुमार

1212----1122----1212----112/22

जो काम बस का नहीं, उसका इश्तिहार किया
यही तो काम सियासत ने बार बार किया

तमाम अहले-चमन भी सज़ा के भागी हैं
अगर उक़ाब ने गोरैया का शिकार किया

उन्हें तो शौक़ था वादों पे वादे करने का
और एक हम थे कि वादों पे ए'तिबार किया

ये कौन आया है साहिल से लौट कर प्यासा
ये किसकी प्यास ने दरिया को शर्मसार किया

मुक़ाम उनको ही हासिल हुआ है दुनिया में
जिन्होंने राह की दुश्वारियों को पार किया

जो इसके साथ न चल पाया रह गया पीछे
गुज़रते वक़्त ने कब किसका इन्तिज़ार किया

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 757

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on April 19, 2018 at 11:23am

सानी मिसरे का सुझाव उत्तम है ।

Comment by Samar kabeer on April 19, 2018 at 11:21am

'जो काम ही न किया उसका इश्तिहार किया'

दो बार 'किया' शब्द आ रहा है ।

Comment by Samar kabeer on April 19, 2018 at 11:19am

'जो काम ही न किया उसका इश्तिहार किया'

इस मिसरे में 'ही' शब्द खटक रहा है,इसे यूँ करें तो:-

"जो काम करते नहीं उसका इश्तिहार किया"

Comment by दिनेश कुमार on April 18, 2018 at 8:54pm

बहुत सही सलाह आदरणीय निलेश सर जी। आभार सर।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 18, 2018 at 8:53pm

सानी में भी काम को अहले सियासत कर लें 
सादर 

Comment by दिनेश कुमार on April 18, 2018 at 8:03pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर जी।  मैं वास्तव में ही यही कहना चाह रहा था लेकिन मिसरा नहीं बना पाया --- 

जो काम ही न किया उस का इश्तेहार किया ,,, शुक्रिया सर। दूसरे का भी कुछ करता हूँ सर। पता तो था, लेकिन पोस्ट करने की जल्दी थी। बस।

हार्दिक आभार, सर।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 18, 2018 at 7:59pm

आ. दिनेश जी 
बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है ..
मतले के ऊला में एक सुझाव है ,, देखिये 
जो काम ही न किया उस  का इश्तेहार किया 
.
ये कौन आया है साहिल से लौट कर प्यासा यहाँ तकाबुल-ए-रदीफ़ की सूरत बन रही है .. वैसे मेरा कोई आग्रह नहीं है ...लेकिन इंगित करना ज़िम्मेदारी है 
ग़ज़ल के लिए बधाई 

Comment by दिनेश कुमार on April 18, 2018 at 5:39pm

बहुत बहुत शुक्रिया आ. हर्ष महाजन जी।

Comment by Harash Mahajan on April 18, 2018 at 5:29pm

वाह आ० दिनेश जी बेहद ही खूबसूरत अल्फ़ाज़ से सजी आपकी ये ग़ज़ल पर ढ़ेरों दाद । वसूल पाइयेगा ।

सादर ।

Comment by दिनेश कुमार on April 18, 2018 at 5:24pm

हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय समर सर जी। इनायत आपकी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
12 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
12 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
12 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
13 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
18 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service