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ग़ज़ल (तुम्हारे ख़त जो मेरे नाम पर नहीं आते)

अरकान-1212  1122  1212  22

तुम्हारे ख़त जो मेरे नाम पर नहीं आते

तो दुश्मनों के भी चहरे नज़र नहीं आते

सतर्क आप रहें हर घड़ी निगाहों से

लुटेरे दिल के कभी पूछ कर नहीं आते

भला भी वक़्त तुम्हारे लिये बुरा होगा

सलीक़े जीने के तुमको अगर नहीं आते

बदल दिए हैं हमीं ने मिजाज मौसम के

भिगोने अब्र हमें बाम पर नहीं आते

हमेशा पीछे भी क्या देखना जमाने में

समय जो बीत गए लौट कर नहीं आते

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 11, 2018 at 1:14pm

वाह बेहतरीन...

बदल दिए हैं हमीं ने मिजाज मौसम के

भिगोने अब्र हमें बाम पर नहीं आते...सादर बधाई

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 10, 2018 at 7:55pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब ,सुन्दर ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें ।

शेर2और 4 में ऐब- तकाबुले रदीफैंन हो रहा है । यूँ कर सकते हैं ।

"सतर्क आप निगाहों से हर घड़ी रहना "----"मिज़ाज हम ने ही मौसम के जब से बदले हैं "।

Comment by TEJ VEER SINGH on February 9, 2018 at 9:08pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'जी।बेहतरीन गज़ल।

भला भी वक़्त तुम्हारे लिये बुरा होगा

सलीक़े जीने के तुमको अगर नहीं आते

Comment by रक्षिता सिंह on February 8, 2018 at 11:06pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी,  बहुत ही खूबसूरत गजल ।

हार्दिक बधाई स्वीकार करे।

Comment by नाथ सोनांचली on February 8, 2018 at 1:17pm

आद0 सोमेश जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पट आपकी सुखनवजी का बहुत बहुत आभार। सादर

Comment by somesh kumar on February 8, 2018 at 9:53am

सतर्क आप रहें हर घड़ी निगाहों से

लुटेरे दिल के कभी पूछ कर नहीं आते

पूरी गज़ल दिलकश है पर ये शे र दिल का लुटेरा 

 बधाई !

Comment by नाथ सोनांचली on February 7, 2018 at 8:56pm

आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन। आपकी प्रतिक्रिया और बेह्तर लिख़ने को प्रेरित करती है, आपकी सदाशयता को नमन संग आभार

Comment by Mohammed Arif on February 7, 2018 at 8:43pm

आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी आदाब,

                         बहुत ही उम्दा ग़ज़ल । इस ग़ज़ल का हर शे'र मुझे पसंद है । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

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