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अनजाने में छू गया था हाथ तेरा ,
पल को लगा मिल गया , तेरा ।

दिल ही तो है इसका क्या करें ,
न मिलो तो होता होगा, क्या हाल मेरा ।

ये ख्याल मुझे जीने नही देता ,
मिली तो क्या होगा सवाल तेरा ?

कटने को कट तो कट रही है जिन्दगी ,
क्यूँ की मेरे पास है जो रुमाल तेरा ।

ऐसे बेदर्द तो नही हो” कमलेश” ,
की जेहन में न आए ख्याल मेरा ॥

Posted in अहसास | Tags: पल,

Views: 294

Comment

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Comment by asha pandey ojha on July 18, 2010 at 1:53pm
bahut khoob kamlesh ji ये ख्याल मुझे जीने नही देता ,
मिली तो क्या होगा सवाल तेरा ?ye to wakai kamal likha hai aapne

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 7, 2010 at 11:05am
बढ़िया है कमलेश भैया ,अच्छी सोच है, पहला और चौथे शेअर मे कुछ मिस्सिंग लग रहा है, मेरे ख्याल से शायद आप यह लिखना चाह रहे है ..............................

अनजाने में छू गया था हाथ तेरा ,
पल को लगा मिल गया , साथ तेरा ।

कटने को कट तो कट रही है जिन्दगी ,
क्यूँ की मेरे पास है जो रुमाल तेरा ।

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