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भुजंगप्रयात छंद (प्रथम प्रयास)

122 122 122 122

जहाँ ये दिलों की दगा का अखाड़ा,
किसी ने मिलाया किसी ने पछाड़ा;
यहाँ प्यार है बेसहारा बगीचा,
किसी ने बसाया किसी ने उजाड़ा;

.
मौलिक और अप्रकाशित

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Comment by Ramkunwar Choudhary on October 26, 2017 at 7:53pm
आप सभी को राय देने के लिए धन्यवाद। मैं अगली बार तुकान्तता का निर्वहन करुगां

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 25, 2017 at 5:05pm

बहुत खूब आदरणीय रामकुँवर जी. 

आपका छांदसिक प्रयास शिल्प की कसौटी पर दुरुस्त है. आप सतत प्रयास करें 

जैसा कि आदरणीय भाई रामबली जी ने दुरुस्त कहा है कि यह भुजंगप्रयात पर आधारित रचना नहीं है. वस्तुतः, यह रचना भुजंगप्रयात पर आधारित मुक्तक अवश्य है. 

हार्दिक शुभकामनाएँ 

Comment by रामबली गुप्ता on October 25, 2017 at 12:53pm
कथ्य और भावों के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर

यह भुजंगप्रयात छंद नही है बल्कि उक्त छंदाधारित मुक्तक कह सकते हैं। भुजंगप्रयात छंद में दो दो पदों में तुकान्तता का निर्वहन किया जाता है जो नही किया गया है। बगीचा और उजाड़ा परस्पर तुकान्त नही हैं। अतः छंद के नियमों पर अध्ययन और सचेतता की आवश्यकता है। सादर
Comment by मनोज अहसास on October 24, 2017 at 7:46pm
नमस्कार सर
मुझे लगता है जहाँ की जगह जहां होना चाहिए था
बाकी गुरुजनो पर निर्भर
सादर
Comment by Ramkunwar Choudhary on October 24, 2017 at 8:21am
आदरणीय समर कबीर साहब मुझे प्रेरित करने के लिए धन्यवाद । मैं और उम्दा लिखने का प्रयास करूंगा
Comment by Samar kabeer on October 23, 2017 at 8:33pm
जनाब राम कुमार जी आदाब,बहुत उम्दा छन्द लिखा आपने,भाव,शिल्प,प्रवाह बहुत अच्छा है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें,ऐसे ही प्रयास करते रहें ।
Comment by Ramkunwar Choudhary on October 23, 2017 at 6:20pm
आदरणीय जानकारी देने के लिए धन्यवाद । मैंने छंद के उपर मात्राएँ लगा दी है।
Comment by Mohammed Arif on October 23, 2017 at 5:53pm
आदरणीय राम कुमार चौधरी जी आदाब, मेरा विधान से आशय मात्राओं से । आखिर यह छंद किन मात्राओं पर बाँधा गया है ?
Comment by Ramkunwar Choudhary on October 23, 2017 at 3:45pm
आदरणीय आरिफ जी मैं विधान का अर्थ ही नहीं समझ पाया। मुझे इससे अवगत कराएं
Comment by Mohammed Arif on October 23, 2017 at 3:40pm
आदरणीय राम कुमार चौधरी जी आदाब , आपका भुजंगप्रयात छंद का प्रयास बेहतर है । इस प्रयास हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
नोट:- ओबीओ मंच का नियम है कि कोई भी छंद बद्ध रचना के ऊपर उसका छांदसिक विधान लिखा जाता है । आपने नहीं लिखा है । कृपया छंद का विधान लिखें ।

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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय."
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"सादर"
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