For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चिंता

"चलो जल्दी । सब बाहर निकलो । बाँध टूट चुका है। पानी बहुत तेज़ी से इधर की ओर आ रहा है ।" बाहर से कई आवाज़ें आ रही थी । आवाज़ सुनते ही शन्नो रसोई में घुस गई । पूरे घर में घुटने तक पानी भर चुका था । रसोई से दाल,चावल,आटा,नमक जितना कुछ उसके दुपट्टे में बँध सका, उसने बाँध लिया । ऊपर रखे डिब्बे में से गुड़मुड़ाए नोटों को निकलना कैसे भूल सकती थी ? निकालने को वो उचकी ही थी कि तभी "अरे! शन्नो जल्दी चल । सब छोड़ दे।" बाहर रफ़ीक चिल्ला रहे थे। "कहाँ मर गई ? जाने कौन सी कचौड़ी पका रही है ?"
जल्दी-जल्दी,दौड़ती-हाँफती, "आ रही हूँ जी, तुम लोगों के लिए, खाने का सामान रख रही थी । पता नहीं कुछ खाने को, मिले न मिले ? कम से कम दो-चार दिन तो, पेट तो भर ही जाएगा ।" रफ़ीक मारे ग़ुस्से के, आँखें तरेरता हुआ बेटी का हाथ पकड़े, दरवाज़े से बाहर रुकी नाव पर बैठ गया। शन्नो ने चलते-चलते मचान पर रखी कुछ लकड़ियों को उतारा और अपने सिर पर रख लिया। इतना सब लेकर बाहर की ओर आ गई।
चारों ओर पानी ही पानी था। यहाँ रेस्क्यू टीम की एक नाव थी, जो शायद उसी का इंतज़ार कर रही थी । देहरी फाँद कर वो जल्दी से नाव में चढ़ना चाहती थी। उसने एक पैर नाव में रखा, दूसरा रख पाती, कि "नाव डगमगाईं और वो पानी में जा गिरी । बहाव बहुत तेज़ था । "बचाओ.....बचाओ....वो बह गई । बचाओ.....लोग चिल्लातें ही रह गये, पर कोई उसे बचा नहीं सका।" उसके साथ बह गई, पूरे परिवार के पेट भरने की चिंता ।

मौलिक व अप्रकाशित
उमा विश्वकर्मा

Views: 508

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on September 11, 2017 at 7:42pm

अच्छी लघुकथा आ. उमा जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. थोड़ी टंकण त्रुटियाँ हैं. देख लीजिएगा. सादर.

Comment by Uma Vishwakarma on September 11, 2017 at 12:27pm

"उस्मानी साहेब" हौसलाअफजाई के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया |

Comment by Neelam Upadhyaya on September 11, 2017 at 11:20am

अदरणीय उमा जी, बहुत ही बढ़िया रचना । बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Samar kabeer on September 10, 2017 at 9:03pm
मोहतरमा उमा साहिबा आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by TEJ VEER SINGH on September 10, 2017 at 12:07pm

हार्दिक बधाई ।बेहतरीन प्रस्तुति।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 9, 2017 at 10:50pm
आपकी रचना पहली बार पढ़ी। बढ़िया शिल्प में गंभीर बढ़िया रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय उमा विश्वकर्मा जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service