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चिंता

"चलो जल्दी । सब बाहर निकलो । बाँध टूट चुका है। पानी बहुत तेज़ी से इधर की ओर आ रहा है ।" बाहर से कई आवाज़ें आ रही थी । आवाज़ सुनते ही शन्नो रसोई में घुस गई । पूरे घर में घुटने तक पानी भर चुका था । रसोई से दाल,चावल,आटा,नमक जितना कुछ उसके दुपट्टे में बँध सका, उसने बाँध लिया । ऊपर रखे डिब्बे में से गुड़मुड़ाए नोटों को निकलना कैसे भूल सकती थी ? निकालने को वो उचकी ही थी कि तभी "अरे! शन्नो जल्दी चल । सब छोड़ दे।" बाहर रफ़ीक चिल्ला रहे थे। "कहाँ मर गई ? जाने कौन सी कचौड़ी पका रही है ?"
जल्दी-जल्दी,दौड़ती-हाँफती, "आ रही हूँ जी, तुम लोगों के लिए, खाने का सामान रख रही थी । पता नहीं कुछ खाने को, मिले न मिले ? कम से कम दो-चार दिन तो, पेट तो भर ही जाएगा ।" रफ़ीक मारे ग़ुस्से के, आँखें तरेरता हुआ बेटी का हाथ पकड़े, दरवाज़े से बाहर रुकी नाव पर बैठ गया। शन्नो ने चलते-चलते मचान पर रखी कुछ लकड़ियों को उतारा और अपने सिर पर रख लिया। इतना सब लेकर बाहर की ओर आ गई।
चारों ओर पानी ही पानी था। यहाँ रेस्क्यू टीम की एक नाव थी, जो शायद उसी का इंतज़ार कर रही थी । देहरी फाँद कर वो जल्दी से नाव में चढ़ना चाहती थी। उसने एक पैर नाव में रखा, दूसरा रख पाती, कि "नाव डगमगाईं और वो पानी में जा गिरी । बहाव बहुत तेज़ था । "बचाओ.....बचाओ....वो बह गई । बचाओ.....लोग चिल्लातें ही रह गये, पर कोई उसे बचा नहीं सका।" उसके साथ बह गई, पूरे परिवार के पेट भरने की चिंता ।

मौलिक व अप्रकाशित
उमा विश्वकर्मा

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Comment by Mahendra Kumar on September 11, 2017 at 7:42pm

अच्छी लघुकथा आ. उमा जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. थोड़ी टंकण त्रुटियाँ हैं. देख लीजिएगा. सादर.

Comment by Uma Vishwakarma on September 11, 2017 at 12:27pm

"उस्मानी साहेब" हौसलाअफजाई के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया |

Comment by Neelam Upadhyaya on September 11, 2017 at 11:20am

अदरणीय उमा जी, बहुत ही बढ़िया रचना । बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Samar kabeer on September 10, 2017 at 9:03pm
मोहतरमा उमा साहिबा आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by TEJ VEER SINGH on September 10, 2017 at 12:07pm

हार्दिक बधाई ।बेहतरीन प्रस्तुति।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 9, 2017 at 10:50pm
आपकी रचना पहली बार पढ़ी। बढ़िया शिल्प में गंभीर बढ़िया रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय उमा विश्वकर्मा जी।

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