For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जाम ... (एक प्रयास)

जाम ... (एक प्रयास)
२१२२ x २

शाम भी है जाम भी है
वस्ल का पैग़ाम भी है।l
हाल अपना क्या कहें अब
बज़्म ये बदनाम भी है।l
हम अकेले ही नहीं अब
संग अब इलज़ाम भी है।l
बाम पर हैं वो अकेले
सँग सुहानी शाम भी है।l
ख़्वाब डूबे गर्द में सब
संग रूठा गाम भी है।l
ख़ौफ़ क्यूँ है अब अजल से
हर सहर की शाम भी है ll
होश में आएं भला क्यूँ
संग यादे जाम भी है !l


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 909

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 27, 2017 at 12:38pm

आदरणीय रवि शुक्ला जी बन्दे का हौसला बढ़ाने का शुक्रिया। आपसे मिलकर मुझे भी हर्ष होगा। आप से दूरभाष पर सम्पर्क कर मिलने का प्रयास करूंगा। इस स्नेह हेतु आपका तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by Samar kabeer on July 25, 2017 at 2:23pm
क्षमा मांग कर शर्मिंदा न करें ।
Comment by Ravi Shukla on July 25, 2017 at 2:20pm

आदरणीय सुशील जी आप परेशान न हों सहज रहे हम सब आपस मे इसी प्रकार विचारों के आदान प्रदान से सीखते हुए आगे बढ़ रहे है । आपकी लगन और विनम्रता प्रसंशनीय है । स्‍नेह बनाएं रखें । हाँ आप जयपुर से है शायद, कभी मुलाकात होगी आपसे । हर महीने 5 तारीख को जयपुर आना हाेता है अवकाश पर अगले कार्य दिवस में कभी समय दीजिये  हमारा नंबर 9024323219 है आपसे मिलकर खुशी होगी । सादर

Comment by Sushil Sarna on July 25, 2017 at 12:22pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब सृजन पर आपकी अमूल्य मार्गदर्शन\के लिए तहे दिल से शुक्रिया एवं असुविधा के लिए क्षमा। आपके निर्देशानुसार मैं सृजन को एडिट कर पुनः प्रेषित करता हूँ। सादर ...

Comment by Sushil Sarna on July 25, 2017 at 12:22pm

आदरणीय रवि शुक्ला जी , त्रुटि को विस्तार से समझाने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया। सर पता नहीं कैसे मैं आपके बिंदु और चंद्रबिंदु के इशारे को समझ नहीं सका और मतलब की तरफ चला गया। खुद पर क्रोध आता है अपनी नादानी पर। खैर अब ये तो तय है की अब ऐसी त्रुटि नहीं होगी , ये आश्वासन देता हूँ। सृजन को समय देने और मार्गदर्शन के लिए आपका हार्दिक आभार।

Comment by Samar kabeer on July 24, 2017 at 6:37pm
'संग' का अर्थ हिन्दी में साथ है और उर्दू में पत्थर,हिन्दी के अनुसार 'संग'को "सँग"किया जा सकता है,लेकिन उर्दू में ये 'संग'ही रहेगा ।
'संग अब इलज़ाम भी है'
को संशोधित कर दीजिये ।
Comment by Ravi Shukla on July 24, 2017 at 4:32pm

आदरणीय सुशील जी हमारे कहे को मान देने के लिये हार्दिक आभार जिस मिसरे पर संग को सँग करने का निवेदन किया था वो बहर के अनुसार 2122 था आपने (सँग अब इल्ज़ाम भी है) इस मिसरे के संग को भी सँग किया जो कि पहले से ही बहर में था सं 2 ग1 अब2 इल2 जा2 म1 भी 2 है 2 जहॉं रुक्‍न के अनुसार वज्‍न की अावश्‍यकता होती है वहॉं कुछ सुविधा ली जाती है अं की मात्रा का वज्‍न 2 है और अँ की मात्रा का वज्‍न 1 है आशा है संग और सँग के दोनो प्रयोग आपके मिसरों में बहर के अनुसार स्‍पष्‍ट हो गये होंगे ।

Comment by Sushil Sarna on July 24, 2017 at 3:21pm

आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी सृजन के प्रयास और भावों को आत्मीय स्नेह देने का शुक्रिया। 

Comment by Sushil Sarna on July 24, 2017 at 3:20pm

आदरणीय समर कबीर साहिब मैंने आदरणीय रवि शुक्ला जी के सुझावानुसार संग को सँग में परिवर्तित किया था।  मेरे अनुसार संग =पत्थर और सँग=साथ था इसलिए साथ के अभिप्राय हेतु मैंने दूसरे स्थान पर उसे चन्द्रबिन्दु से संशोधित कर दिया।  आपका कहा सही है अब मैं कोई भी संशोधन टिप्पणियां आने के बाद ही करूंगा।  असुविधा के लिए खेद और सुझाव के लिए हार्दिक आभार। 

Comment by Samar kabeer on July 24, 2017 at 2:19pm
'सँग अब इल्ज़ाम भी है'
आपने इस मिसरे में 'सँग'शब्द में भी चंद्र बिंदु लगा दिया,इस ऐसे ही रहने दें :-
"संग अब इल्ज़ाम भी है'
संशोधन उस वक़्त किया करें जब कुछ टिप्पणियां आ जाएं,वरना कितनी बार संशोधन करेंगे ?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
28 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service